अन्तर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
लाडनूँ, 1 अक्टूबर 2025। जैन विश्व भारती संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग द्वारा अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के अवसर पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ गांधी जी के रघुपति राघव राजा राम भजन के संगान से हुआ। इसके पश्चात कार्यक्रम की संयोजिका डाॅ. लिपि जैन ने गांधीजी के जीवन-दर्शन एवं विचारों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाना गांधीजी के आदर्शों की वैश्विक प्रासंगिकता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि गांधीजी का संपूर्ण जीवन सत्य, अहिंसा और नैतिकता जैसे जीवन आदर्शो पर आधारित रहा है, जो आज की दुनिया के लिए भी उतने ही आवश्यक हैं।विभागाध्यक्ष डॉ. बलबीर सिंह स्वागत वक्तव्य दिया और संस्थान के कुलपति प्रो. बी.आर. दूगड़ के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की और माना कि उनकी सद् प्रेरणा एवं मार्गदर्शन से ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन करना काफी सहज हो जाता है। कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं मुख्य वक्ता जैन एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग के विभागाध्यक्ष तथा दूरस्थ एवं ऑनलाइन शिक्षा केंद्र के निदेशक प्रो. आनंदप्रकाश त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में बताया कि गांधी जीवन दर्शन न केवल एक अध्ययन की विषय वस्तु है अपितु जीवन जीने का तरीका भी है। उन्होंने यह भी कहा कि गांधीजी ने न केवल भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया, बल्कि पूरी मानवता को शांति और न्याय का मार्ग दिखाया। सत्य और अहिंसा उनकी राजनीति के साधन नहीं थे, बल्कि जीवन जीने की शैली थे। प्रो. त्रिपाठी ने इस बात पर भी जोर दिया कि आज जब दुनिया हिंसा, असहिष्णुता, युद्ध और आतंक जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है, तब गांधी के मूल्य ही वास्तविक समाधान प्रस्तुत करते हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में गांधीजी के मूल्यों—सत्य, अहिंसा, सहिष्णुता और सेवा—को आत्मसात करें। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि गांधीजी का ग्राम स्वराज, स्वदेशी और आत्मनिर्भरता का विचार आज की अर्थव्यवस्था और समाज दोनों के लिए अत्यंत प्रासंगिक है। कार्यक्रम मेंयोग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. युवराज सिंह खंगारोत, प्रो. प्रद्युमन सिंह शेखावत एवं डाॅ. हेमलता जोशी कभी सहयोग एवं सहभागिता रही। अंत में विभाग के सह-आचार्य तथा आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. रविंद्र सिंह राठौड़ ने सभी का आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में संस्थान के विद्यार्थियों ने भी सक्रिय भागीदारी निभाई और गांधीजी के विचारों को अपने जीवन में आत्मसात करने का विश्वास दिलाया
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