तहसील स्तरीय हेलमेट जागरूकता कार्यशाला आयोजित

देश भर में सड़क दुर्घटनाओं में 400 लोग और राज्य में 29 व्यक्ति रोजाना मर जाते हैं

लाडनूँ,7 फरवरी 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के महाप्रज्ञ-महाश्रमण आॅडिटोरियम में आयोजित इस कार्यशाला में सम्बोधित करते हुये सरदार पटेल पुलिस विश्वविद्यालय जोधुपर के सेंटर फाॅर रोड सेफ्टी की केन्द्रीय समन्वयक प्रेरणा सिंह ने यहां तहसील स्तरीय हेलमेट जागरूकता कार्यशाला को सम्बोधित करते हुये कहा कि राज्य सरकार ने दुर्घटनाओं की रोकथाम व उनसे होने वाले नुकसान में कमी लाने के लिये सड़क सुरक्षा प्रकोष्ठ का गठन किया है। इस प्रकोष्ठ का नोडल विभाग परिवहन विभाग रखा गया है, लेकिन इसमे सभी विभागों की भूमिका निर्धारित की गई है। इस प्रकोष्ठ के खर्च के लिये पुलिस द्वारा काटे जाने वाले चालानों की 25 प्रतिशत राशि कोष तय किया गया है। इस प्रकोष्ठ को शीघ्र ही जिला व तहसील स्तर पर भी गठित किया जाना है। उन्होंने बताया कि सड़क का उपयोग आवश्यक है और उपयोग के दौरान दुर्घटनाओं का खतरा भी लगातार बना रहता है। इससे निपटने के लिये दुर्घटना के कारण को समझना जरूरी है। उन्होंने बताया कि हमारे देश में प्रतिदिन 400 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मरते हैं और साल में करीब डेढ लाख लोग मौत के शिकार हो जाते हैं। यह आंकड़ विश्व में सबसे अधिक है। यहां जितनी सड़क दुर्घटनायें होती हैं, उनमें 100 में से 40 व्यक्ति मर जाते हैं। राजस्थान में सालाना 10 हजार 465 सड़क दुर्घटनायें होती हैं। प्रदेश में रोजाना 29 लोग सड़क दुर्घटनाओं में मर जाते हैं। नागौर जिले में वर्ष 2017 में 40 मौतें बढी हैं। इन मरने वालों में मजूदरों की संख्या नहीं होती, बल्कि सबसे ज्यादा मौतें पढे-लिखे लोगों की होती हैं और उनमें भी युवा अधिक होते हैं। सड़क दुर्घटनाओं की विश्वव्यापी समस्या से निपटने के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2011 से 2020 तक सड़क सुरक्षा का विषय तय किया है।

हैलमेट से जीवन बचाया जा सकता है

प्रेरणा सिंह ने प्रोजेक्टर के माध्यम से जानकारी देते हुये बताया कि इन दुर्घटनाओं के कारणों में यातायात नियमों की जानकारी नहीं होना, नियमों को तोड़ने की आदत होना, वाहन में तकनीकी खराबी का होना, गलत ओवर टेक करना, ज्यादा गति रखना, दृश्यता और अंध मोड़ या जगह, अंधाधुंध वाहन चलाना, नाबालिग द्वारा वाहन चलाना, सतर्कता व ध्यान खोना जिसमें नशा, सहयात्री व्यवधान, गुस्से में चलाना, जल्दबाजी, थकान और नींद शामिल हैं। इनके अलावा सड़क की दशा और बनावट, मौसम की दशा, सुरक्षा उपकरणों यथा हेलमेट, सीट बेल्ट आदि मौत के कारण बनते हैं। उन्होंने बताया कि बिना हेलमेट के मरने वालों की संख्या 10 हजार 135 है, जो बहुत ज्यादा है। दुर्घटनाओं में हेलमेट लगाया हुआ होने पर जीवन बच सकता है, क्योंकि अधिकतर मौतें सिर की चोट के कारण होती है। उन्होंने बताया कि हैलमेट हमेशा आईएसआई मार्का लगा हुआ और उसके नीचे नम्बर 4151 होने पर ही खरीदें। हैलमेट काले रंग के बजाये अन्य रंगों को होना चाहिये। काला रंग रात में दिखाई नहीं देता। हैलमेट को हमेशा बांध कर रखना चाहिये। वाहन पर दोनों सवारियो को हेलमेट लगाना चाहिये। इसमें लापरवाही ही मौत का कारण बनती है।

दुर्घटनाओं से निपटने की नीति उचित होना आवश्यक

सड़क सुरक्षा के 5 स्तम्भ बताते हुये कहा कि सुरक्षा नीति व प्रबंध उचित होना चाहिये। सड़कों की स्थिति सुरक्षित होनी चाहिये। सड़क पर चलने वाले वाहन भी व्यक्ति के लिये सुरक्षित होने आवश्यक है। इसी प्रकार सड़क का उपयोगकर्ता भी सुरक्षित हो कि वह सुरक्षित या़त्रा के प्रति सजग हो। इसके अलावा आपातकालीन सेवायें भी महत्व रखती है। अगर समय पर एम्बुलेंस नहीं मिले या चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाये तो दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुये जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलसचिव वीके कक्कड़ ने कहा कि वाहनों के अनावश्यक प्रयेाग से बचना चाहिये। इससे व्यर्थ खर्च बढता है, स्वास्थ्य की हानि होती है और दुर्घटनाओं की संभावनायें बढती हैं।

लाडनूं में 138 मरे सड़क दुर्घटनाओं में

कार्यशाला में लाडनूं थानाधिकारी भजन लाल ने बताया कि लाडनूं में साल 2017 में कुल 138 जनों की मोत सड़क दुर्घटनाओं में हुई थी। इन मरने वालों के परिवारों के हालात कैसे हो जाते हैं, यह उनके घर जाकर देख सकते हैं। हेलमेट से जीवन का बचाव होता है। बिना हेलमेट के वाहन चलाने वालों की सड़क दुर्घटनाओं में 90 प्रतिशत मौतें होती है, जिन्होने हेलमेट पहना हुआ होता है, वे बच जाते हैं। उन्होंने अपील की कि अपने लिये नहीं तो कम से कम अपने परिवार के लिये ही हैलमेट पहनें। इस बारे में सबको बतायें और जीवन बचायें। कार्यशाला में नगर पालिका के समस्त पार्षदगण, सीएलजी के सभी सदस्य, विद्यालयों के प्रधान एवं विद्यार्थी व युवा वर्ग उपस्थित रहे।

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