जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन एवं अंग्रेजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में विदाई समारोह का आयोजन

जीवन में पांच H का होना आवश्यक है - प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा

लाडनूँ, 20 अप्रेल 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग एवं अंग्रेजी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में विदाई समारोह का आयोजन किया गया। जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्म एवं दर्शन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा ने कहा कि जीवन में पांच H का होना आवश्यक है -

H = Healthy यानि शरीर, मन व भावानात्मक रूप से स्वस्थ रहें।

H = Happy यानि हर अनुकूलता या प्रतिकूलता में खुश रहे।

H = Humble यानि विनम्र रहें।

H = Honest यानि प्रामाणिक व नैतिक रहें ।

H = High Thinking यानि सोच हमेशा उंची रखें।

जो कुछ है वह सोच के कारण है और जो कुछ बनोगे वह सोच के कारण ही बनोगे। अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. गोविन्द सारस्वत ने जीवन के बदलाव में अपनी क्षमताओं को पहचानने की जरूरत पर बल दिया।

कार्यक्रम में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि कभी संवेदनाओं के स्रोत को सूखने नहीं दें, क्योंकि हमारी संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम और सर्वे भवन्तु सुखिनः की रही है। उन्होंने स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों के लिऐ मंगलभावना प्रकट करते हुये उन्हें जीवन में आदि शंकराचार्य के जीवन-दर्शन से प्रेरणा लेने की आवश्यकता बताते हुये कहा कि उन्होंने मात्र 8 वर्ष की उम्र में वेद पढ लिऐ थे और 16 वर्ष की आयु में अपने समस्त ग्रंथों की रचना कर दी थी। उनकी आयु मात्र 32 वर्ष रही, लेकिन इसमें भी उन्होंने इतना कार्य किया कि पूरा विश्व उन्हें याद करता है।

प्रो. दामोदर शास्त्री ने कहा कि ज्ञान दिया नहीं जाता, बल्कि वो तो अंदर ही होता है, केवल उस पर से आवरण को हटाने की जरूरत होती है। उन्होंने अंग्रेजी भाषा के वाक्य-विन्यास को विलक्षण बताया तथा कहा कि भाषा के सौंदर्य को पढना चाहिये।

कार्यक्रम में उदय चैगले, माया, मुमुक्षु सोनम, कंचन शर्मा, विनय आदि ने अपने अनुभव, विचार एवं गीत प्रस्तुत किये। कार्यक्रम का प्रारम्भ मंगलाचरण से किया गया। संचालन प्रासुक व प्रज्ञा शर्मा ने किया।

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