जैन विश्वभारती संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में तीन दिवसीय आमुखीकरण एवं प्रेक्षाध्यान शिविर का आयोजन

चैम्पियन बनने तक संघर्ष जारी रखें- प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 26 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में गुरूवार को तीन दिवसीय आमुखीकरण एवं प्रेक्षाध्यान शिविर का शुभारम्भ कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ द्वारा किया गया। यहां महाप्रज्ञ-महाश्रमण आॅडिटोरियम में आयोजित शुभारम्भ समारोह को सम्बोधित करते हुये कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने हर काम उत्साहपूर्वक करने के लिये प्रोत्साहित करते हुये कहा कि किसी का समय कभी निकलता नहीं है, बल्कि हमेशा वर्तमान समय का सुदपयोग करें। उन्होंने कहा कि तब तक लड़ना जरूरी है, जब तक कि चैम्पियन नहीं बन जावें। हारते-हारते ही शिखर पर पहुंचा जा सकता है। हर काम को तुरन्त करें, उसे टालें कभी नहीं। काम को उत्साहपूर्वक करने से ही जीवन में बदलाव आयेगा और जीवन रोमांचित बनेगा, आगे बढने में इससे मदद मिलेगी। प्रो. दूगड़ ने कहा कि जीवन में कभी भी नैतिक मूल्यों से समझौता नहीं करें। मूल्यों पर हमेशा अडिग रहें, तभी जल्दी विकास संभव है। उन्होंने मैत्री के विकास के सम्बंध में बताया कि कठिनाई के समय किसी के साथ खड़ा होंगे, तो वह व्यक्ति सदा के लिये आपका बन सकता है, चाहे वह आपका विरोधी भी रहा हो। उन्होंने किसी के लिये प्रतिक्रिया करने के बजाये शांत रहने व सहिष्णु बनने की आवश्यकता बताई तथा कहा कि जो प्रतिक्रिया करता है, वह हमेशा पराजित होता है। शांत रहने पर सामने वाले पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव कायम होता है। उन्होंने प्रेक्षाध्यान पद्धति को ध्यान की श्रेष्ठ प्रणाली बताते हुये कहा कि विदेशों में भी प्रेक्षाध्यान के प्रशिक्षक तैयार हो रहे हैं। प्रेक्षाध्यान की देश-विदेशों में बहुत चर्चा हुई है। अमेरिका, बेल्जियम आदि देशों से विदेशी लोग यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में भी प्रेक्षाध्यान व योग सीखने के लिये आते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय को ए-श्रेणी प्राप्त एक उच्च स्तर का संस्थान बताते हुये कहा कि नैतिक मूल्यों के लिये यह संस्थान विख्यात है।

हर क्रिया से मन की संगति आवश्यक

जैन विद्या एवं तुलनात्मक धम्र व दर्शन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा ने प्रेक्षाध्यान शिविर के तीन दिनों को जीवन को दिशा देने वाला बताया तथा कहा कि गति से अधिक दिशा महत्वपूर्ण होती है। अगर दिशा सही नहीं हो तो गति अधिक होने पर भी लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने भावक्र्रिया को ऐसी विधि बताई, जिसमें हर पल व्यक्ति ध्यान में रहता है। उन्होंने कहा कि जो भी गतिविधि करें, उसके साथ मन का जुड़ा होना जरूरी है। क्रिया के साथ मन जुड़ा रहे तो वह भावक्रिया ध्यान बन जाता है। उन्होंने विद्यार्थियों से अच्छी संगति और एकाग्रता को आवश्यक बताते हुये कहा कि प्रेक्षाध्यान से एकाग्रता का विकास होता है और छात्राओं में स्मरण शक्ति भी बढती है।

प्रेक्षाध्यान से जीवन में बदलाव संभव

प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने इस अवसर पर प्रेक्षाध्यान को महाप्रज्ञ प्रणीत ध्यान की बेजोड़ प्रणाली बताया तथा कहा कि इसे विश्व भर में स्वीकारा जा गया है। इससे जीवन में बदलाव लाया जाना संभव है। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. प्रगति भटनागर ने किया। शिविर में प्रथम सत्र में प्रेक्षाध्यान व योग का अभ्यास पारूल दाधीच व निकिता उत्तम ने करवाया। अंतिम सत्र में प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने छात्राओं को संस्थान के विभागों, पाठ्यक्रमों, व्यवस्थाओं, विशेषताओं आदि की जानकारी दी। यह तीन दिवसीय शिविर नवप्रवेशित छात्राओं के आमुखीकरण के साथ उन्हें ध्यान पद्धति से परीचित करवाने के लिये किया जा रहा है।

तीन दिवसीय प्रेक्षाध्यान षिविर में दूसरे दिन व्यक्तित्व विकास को किया व्याख्यायित

27 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में चल रहे त्रिदिवसीय प्रेक्षाध्यान शिविर के दूसरे दिन जीवन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष एवं संस्थान के डिप्टी रजिस्ट्रार डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत ने छात्राओं को व्यक्ति जीवन में व्यक्तित्व के महत्त्व को व्याख्यायित करते हुए बताया कि व्यक्तित्व विकास में कद व सुन्दरता मायने नहीं रखती बल्कि व्यक्ति के गुण व उसकी जीवन के प्रत्येक पहलू के प्रति सकारात्मकता ही उसके सफल व्यक्तित्व निर्माण में सहायक सिद्ध होती है, वहीं द्वितीय सत्र में शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन द्वारा ‘‘छात्राओं के व्यक्तित्व विकास में शिक्षा की भूमिका’’ विषय पर संबोधित करते हुए कहा कि विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के साथ-साथ सतत् परिश्रम एक सफल व्यक्तित्व का निर्माण करता है। इस अवसर पर संस्थान के व्याख्याता अभिषेक चारण, कमल कुमार मोदी, मधुकर दाधिच, डाॅ. बलवीर सिंह, सोनिका जैन, सुश्री रत्ना चैधरी एवं नीतू सुथार आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. प्रगति भटनागर द्वारा किया गया। शिविर में छात्राओं को प्रेक्षाध्यान एवं योग का अभ्यास जीवन विज्ञान विभाग की शोधार्थी सुश्री पारूल दाधिच एवं निकिता उत्तम द्वारा करवाया गया।

नैतिक मूल्यों के समावेश से जीवन में परिवर्तन आता है- प्रो. धर

लाडनूँ, 28 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय आमुखीकरण एवं प्रेक्षाध्यान शिविर का शनिवार को समारोह पूर्वक समापन किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि शोध निदेशक प्रो. अनिल धर ने कहा कि जीवन में मूल्यों का अपना महत्व होता है। उनके बिना जीवन सारहीन बन जाता है। नैतिक मूल्यों का समावेश जीवन को आमूल-चूल रूप से बदल देता है तथा जीवन में सुदृश फूलों की खुशबू भर जाती है। समारोह के मुख्य वक्ता अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगल किशोर दाधीच ने मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि जीवन में समय की पाबंदी को महत्व अवश्य दें। समय पर किये गये कार्य ही सुफल देने वाले होते हैं। दीर्घसूत्रता से जीवन में बिगाड़ आता है। उन्होंने कहा कि हर छात्रा को अपने आप को पहचानना चाहिये। स्व को जानने से ही उसका लक्ष्य परिपक्व हो सकता है। इससे पूर्व प्रचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने तीन दिवसीय शिविर का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया तथा कहा कि यह शिविर छात्राओं के जीवन में सकारात्मकता भरेगा। शिविरार्थी छात्राओं सरिता शर्मा, संध्या वर्मा, शिवानी आचार्य आदि ने अपने अनुभव अन्य छात्राओं के साथ साझा किये। शिविर का अंतिम दिवस व्यक्तित्व विकास एवं आमुखीकरण पर केन्द्रित रहा। सभी शिविरार्थी छात्राओं ने इस अवसर पर वृक्षारोपण करके अपने संकल्प को मजबूत किया। शिविर के अंतिम सत्र में योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने छात्राओं को लाफिंग थैरेपी से परीचित करवाया तथा अभ्यास करवाते हुये उसके लाभ बताये। कार्यक्रम का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. बलवीर सिंह चारण ने किया।

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