जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में चलाया जा रहा है प्राकृतिक चिकित्सा का पाठ्यक्रम

छात्र सीख रहे हैं वाष्प स्नान, कटि स्नान, मसाज, रंग चिकित्सा के विविध प्रयोग

लाडनूँ, 29 नवम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के अन्तर्गत एम.ए. के विद्यार्थियों को प्राकृतिक चिकित्सा की विभिन्न विधियां सिखाई जा रही है। विभागाध्यक्ष डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत ने बताया कि विभाग में योग के अलावा विद्यार्थियों को प्राकृतिक चिकित्सा के विभिन्न आयामों को भी पढ़ाया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा के विशेषज्ञ सहायक आचार्य डाॅ. अशोक भास्कर ने बताया कि पाठ्यक्रम में प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत कक्षा में भाप स्नान, मिट्टी पट्टी, मसाज, रंग चिकित्सा, कटि स्नान, उपवास आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दी जाती है। संस्थान में पंचकर्म सहित अन्य उपकरणों की व्यवस्था है। मसाज एक्सपर्ट विद्यार्थी विश्वजीत ने बताया कि मसाज से मांसपेशी एवं जोड़ों के दर्द सर्वाईकल आदि बीमारियां दूर हो जाती है। संस्थान के छात्र एवं छात्रायें योग के द्वारा चिकित्सा की अन्य वैकल्पिक पद्धतियां सीख रहे हैं। योग एवं वैकल्पिक चिकित्सा पद्धतियों को वैज्ञानिक तरीके से आगे बढ़ाने के संस्थान के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ का मार्गदर्शन सतत् प्राप्त होता रहता है। सभी विद्यार्थी यहां से शिक्षा प्राप्त कर विभिन्न क्षेत्रों में अपने कॅरियर के साथ समाज सेवा से जुड़ना चाहते है।

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