जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. दूगड़ की प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्ति के अवसर पर समारोह का आयोजन

कर्मरत रहने से ही बढा जा सकता है आगे- प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 30 नवम्बर 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने अपने प्रोफेसर पद से सेवा निवृत्ति के अवसर पर आयोजित समारोह को सम्बोधित करते हुये कहा कि हमेशा कर्म को महत्व देना चाहिये। केवल कर्म ही व्यक्ति को प्रत्येक सफलता तक पहुंचाने में समर्थ होते हैं। उन्होंने इस अवसर पर विश्वविद्यालय को दी गई अपनी सेवाओं का जिक्र करते हुये उन्हें कर्म क्षेत्र में किया गया प्रयोग बताया और कहा कि कर्मरत रहने पर ही वे निरन्तर आगे बढ पाये थे। उन्होंने अपने कर्मस्थल के प्रति निष्ठा व समर्पण की आवश्यकता बताते हुये कहा कि यह सबके लिये आवश्यक है कि वे जहां कार्य करें, उसमें पूरी लगन व समर्पण का भाव अवश्य रखें। इस अवसर पर संस्थान के शोध निदेशक प्रो. अनिल धर, दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. जुगलकिशोर दाधीच, कुलसचिव विनोद कुमार कक्कड़ आदि ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुये संस्थान की स्थापना से लेकर अब तक अनवरत दी जा रही प्रो. दूगड़ की सेवाओं की सराहना की तथा कहा कि वे प्रोफेसर पद से सेवानिवृत हो रहे हैं, लेकिन कुलपति के रूप में उनकी सेवाओं का लाभ संस्थान निरन्तर उठाता रहेगा। प्रो. दूगड़ ने इससे पूर्व जैन विश्वभारती में विराजित मुनिश्री जयकुमार एवं अन्य जैन संतों का आशीर्वाद ग्रहण किया एवं उन्हें गोचरी प्रदान की। कार्यक्रम में जैन विश्वभारती के पूर्व अध्यक्ष ताराचंद रामपुरिया, अशोक चिंडालिया, प्रो. आशुतोष प्रधान, प्रवीण बगड़िया, जीवणमल मालू, प्रो. दामोदर शास्त्री, प्रो. बीएल जैन, कनक दूगड़, डाॅ. शांता जैन, डाॅ. वीणा जैन, विजयश्री, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. पुष्पा मिश्रा, सोनिका जैन, डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, डाॅ. युवराज सिंह खांगारोत, डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़, डाॅ. विकास शर्मा, डाॅ. अशोक भास्कर, डाॅ. जसबीर सिंह आदि उपस्थित थे।

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