जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) की वार्षिक सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन

सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास का सशक्त माध्यम है सांस्कृतिक प्रतियोगिताएं - प्रो. दूगड़

लाडनूँ,8 जनवरी 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा है कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास का सशक्त माध्यम सांस्कृतिक प्रयोगिताएं होती है। इन प्रतियोगिताओं के माध्यम से भारतीय संस्कृति की अभिव्यक्ति की जा सकती है। विद्यार्थियों को इन प्रतियोगिताओं में बढ़-चढ़ कर सहभागिता करनी चाहिए। वे यहां विश्वविद्यालय में आयोजित वार्षिक सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं के उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सभी प्रतिभागी प्रथम स्थान प्राप्त नहीं कर सकते, लेकिन अपनी कमियों को दूर करते हुए एक अच्छे प्रतिभागी बन सकते हैं। इस अवसर पर उन्होंने सभी प्रतिभागियों के उत्साह की सराहना भी की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए इन प्रतियोगिताओं के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि विनोद कुमार कक्कड़ ने सभी विद्यार्थियों को आह्वान करते हुए कहा कि ये प्रतियोगिताएं आपको एक नई ऊर्जा प्रदान करने वाली होती है। अत: ज्यादा से ज्यादा संख्या में इन सहभागिता करनी चाहिए। कार्यक्रम का प्रारम्भ समागत अतिथियों द्वारा सरस्वती की मूर्ति पर माल्यार्पण तथा सरस्वती वंदना से हुआ। अतिथियों का पुष्पगुच्छ द्वारा स्वागत किया गया। अंत में सांस्कृतिक समिति की समन्वयक डॉ. अमिता जैन ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. सत्यनारायण भारद्वाज ने किया।

समाज सुधार के नाटकों द्वारा विद्यार्थियों ने की विविध समस्याओं के समाधान की कोशिशें

10 जनवरी 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में चार दिवसीय सांस्कृतिक प्रतियोगिता के अन्तर्गत आयोजित नाटक प्रतियोगिता में रश्मि एवं गु्रप ने संस्कारों पर आधारित नाटक, ज्योति एवं गु्रप ने गु्रप ने गरीबी व नेत्रदान की महता पर आधारित नाटक प्रस्तुत किये, वहीं कंचन गु्रप ने माता-पिता की सेवा, मुमुक्षु सारिका व गु्रप ने आधुनिकता, इच्छाओं पर नियंत्रण एवं संतोष से संबंधित, अंबिका व गु्रप ने अनपढ़ता आदि सामाजिक विषयों पर आधारित नाटक प्रस्तुत किये। देश की अनेक समस्याओं का समाधान नाटकों द्वारा किया जा सकता है इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए सभी नाटक प्रस्तत किये गये। सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं के तहत आयोजित की गई सामूहिक गान प्रतियोगिता में लगभग 40 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इनके अलावा रंगोली प्रतियोगिता में 185 प्रतिभागी छात्राओं ने भाग लिया। एकल लोक नृत्य प्रतियोगिता में 27 प्रतिभागियों ने और सामुहिक लोकनृत्य प्रतियोगिता में 40 प्रतिभागियों व मेहंदी प्रतियोगिता में 48 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इन प्रतियोगिता में निर्णायक के रूप में कनक दूगड़, अंजू बैद, डॉ विनोद, मुकुल सारस्वत, डॉ. सुनिता इन्दौरिया, लिपि दूगड़, सोनिका जैन, दिव्या राठौड़, डॉ. पुष्पा मिश्रा, डाॅ. गिरिराज भोजक, डाॅ. सरोज राय, डॉ. प्रगति भटनागर, प्रो. बी.एल. जैन, प्रो. रेखातिवाड़ी, डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा, डाॅ. गोविन्द सारस्वत, गीतापूनियां व डॉ. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने अलग-अलग प्रतियोगिता में निर्णायक की भूमिका निभाई। अंत में डाॅ.अमिता जैन व डाॅ. आभा सिंह ने आभार ज्ञापित किया। प्रतियोगिता में आमंत्रित अतिथि सुमन कक्कड, संस्थान के संकाय सदस्य एवं समस्त विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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