जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में छात्राध्यापिकाओं का शुभ-भावना समारोह आयोजित
विद्यार्थी को तराश कर उसके जीवन को बेहतरीन बनाते हैं शिक्षक - मेहता
लाडनूँ, 16 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के तत्वावधान में शुभ-भावना समारोह का आयोजन किया जाकर एमएड, बीएड एवं बीए-बीएड व बीएससी-बीएड की अंतिम वर्ष की छात्राओं को भावभीना व आकर्षक ढंग से विदाई दी गई। यहां महाप्रज्ञ-महाश्रमण ऑडिटोरियम में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता करते हुये कुलसचिव रमेश कुमार मेहता ने कहा कि शिक्षक अपने विद्यार्थियों को जीवन की विषम स्थितियों से मुकाबले के लिये तराश कर उनके जीवन को बेहतरीन बनाते हैं। यहां छात्राओं में अनुशासन, सहनशीलता, रूचि का विस्तार एवं विभिन्न कलाओं में निपुण बनाने आदि गुणों का विकास करके उन्हें समाज व राष्ट्र के लिये बहुमूल्य बनाया जाता है। मुख्य अतिथि जैनविद्या एवं तुलनात्मक धर्म व दर्शन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. समणी ऋजुप्रज्ञा ने कहा कि जीवन में भावनाओं का महत्व होता है। जैसी हमारी भावना होती है, हमारे जीवन का विकास भी वैसा ही होता है। विद्यार्थी बीज की तरह होते हैं, जिनमें विकास की असीम संभावनायें होती हैं। वे अपनी संभावनाओं को व्यक्त कर पायें, इसके लिये उन्हें अनुकूल माहौल और अच्छे गुरू मिलने आवश्यक होते हैं। उन्होंने कहा कि विदाई का अर्थ फल के पकने की तरह से होना चाहिये। विद्यार्थी शिक्षित होकर परिपक्व होकर जाता है तो उसमें पके फल की तरह से वाणी व व्यवहार की मिठास, विनम्रता और गुणों के रंग व सुगंध होनी चाहिये। विद्यार्थी में आने वाले परिवर्तन में उसके स्वभाव में अनुशासन, शांति, शालीनता आनी चाहिये, तभी वह जीवन में आगे बढ सकता है और अपने क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि गुरू का यह प्रयास रहता है कि छात्राओं में ऐसी कोई गलती नहीं रहने पाये, जिससे उन्हें जीवन में कोई परेशानी उठानी पड़े। जीवन में हमेशा मेहनत व निष्ठा जरूरी होती है और यही छात्राओं के आगे बढने में सहायक होती हैं। कार्यक्रम में प्रियंका राठौड़, हेमा, मोनिका सैनी, पूजा कुमारी, प्रियंका बिड़ियासर एवं समूह, कविता शर्मा, कविता जोशी, मोना राठौड़, रितिका दाधीच आदि ने विभिन्न राजस्थानी, हिन्दी व पंजाबी गीतों पर नृत्यों की मनमोहक प्रस्तुतियां दी। प्रियंका टाक, हेमा आदि ने अपने विश्वविद्यालय के छात्र-जीवन के अनुभव प्रस्तुत किये। कार्यक्रम के अंत में डाॅ. सरोज राय ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन ज्योति व सुमन सोमड़वाल ने किया।
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