छात्राध्यापिकाओं ने अपने शिक्षकों के लिये म्यूजिकल चेयर और एकाभिनय प्रतियेागितायें का आयोजन
विद्यार्थी को नये जीवन के लिये तैयार करते हैं अध्यापक-मेहता
लाडनूँ, 6 सितम्बर 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलसचिव रमेश कुमार मेहता ने कहा है कि अध्यापक का दायित्व माता-पिता से कहीं अधिक होता है। वे बालक को उनके भावी जीवन के लिये निखारते हैं, जैसे एक स्वर्णकार सोने को नई रंगत व नया स्वरूप देता है, वैसे ही अध्यापक अपने विद्यार्थी को नये जीवन के लिये तैयार करता है। वे यहां शिक्षा विभाग की छात्राध्यापिकाओं द्वारा शुक्रवार को ऑडिटोरियम में आयोजित शिक्षक दिवस समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द द्वारा प्रेषित संदेश को वाचन भी किया। कार्यक्रम में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी ने भारतीय परम्परा में गुरू-शिष्य की श्रेष्ठ परम्परा के बारे में बताते हुये कहा कि आचार्य तुलसी व आचार्य महाप्रज्ञ इस परम्परा के आधुनिक उदाहरण कहे जा सकते हैं। उन्होंन गुरू-शिष्य परम्परा के लिये एकलव्य व कर्ण के उदाहरण भी प्रस्तुत किये। विताधिकारी आरके जैन ने अध्यापक को विद्यार्थी के लिये आइडियल बताते हुए कहा कि अध्यापक को उसी के अनुरूप आदर्श व्यवहार करना और आदर्श बनना चाहिये। अध्यापक को अपने विद्यार्थी के मार्गदर्शक व मित्रता की भूमिकायें साथ-साथ निभानी चाहिये। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्राप्त संदेश का वाचन कर सुनाया। होस्टल वार्डन गीता पूनिया ने गुरू को अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाने वाला बताया। विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि अध्यापक अपने-अपने तरीके से अपने विद्यार्थी की कमियों को दूर करने का प्रयास करते हैं और उन्हें निखारने का काम करते हैं। उन्होंने सर्वपल्ली डाॅ. राधाकृष्ण को आदर्श शिक्षक के रूप में प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में केक काट कर शिक्षकों ने परस्पर शिक्षक दिवस की बधाई दी। छात्राध्यापिकाओं ने सभी शिक्षकों को उपहार भेंट किये।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियां
कार्यक्रम में छात्राध्यापिकाओं ने अपने शिक्षकों के लिये म्यूजिकल चेयर और एकाभिनय प्रतियेागितायें आयेाजित की। म्युजिकल चेयर में डाॅ. आभा सिंह विजेता रही और एकाभिनय में डाॅ. गिरीराज भोजक विजेता रहे। दोनों विजेताओं को पुरस्कार प्रदान किये गये। पूनम एवं समूह ने कार्यक्रम में सभी अध्यापकों की छवि की पीपीटी बनाकर उन पर फिट होने वालों गीतों के साथ नृत्य प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में ममता,सरिता चैधरी, सरिता शर्मा, आशा, कोमल शर्मा, मोना, सुनिता चैधरी, मेहराज व ललिता ने एकल नृत्य प्रस्तुत किये। गुनगुन एवं समूह, मानसी एवं समूह तथा ममता व नेहा ने सामुहिक नृत्य पेश किये। सरस्वती वंदना पर नृत्य के साथ कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। इस अवसर पर डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. अमिता जेन, डाॅ. आभासिंह, डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा, राजश्री शर्मा, स्वाति शर्मा, रवि प्रकाश आदि संकाय सदस्य उपस्थित रहे एवं बीएड, एमएड, बीए-बीएड, बीएससी-बीएड की समस्त छात्रायें उपस्थित रही। कार्यक्रम का संचालन सुमन सोमड़वाल व मोनिका ने किया।
समाज कार्य विभाग में भी आयोजन
समाज कार्य विभाग में आयोजित शिक्षक दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये विभागाध्यक्ष डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान ने कहा कि जीवन में गुरू के तीन चरण होते हैं, जिनमें प्रािम माता-पिता, द्वितीय स्कूल शिक्षक और तृतीय आध्यात्मिक गुरू होते हैं। ये सभी हमारा मार्गदर्शन करते हैं और व्यक्ति को सदमार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। डाॅ. पुष्पा मिश्रा ने रामकृष्ण परमहंस एवं स्वामी विवेकानन्द का उदाहरण देते हुये कहा कि गुरू जीवन को बदल देते हैं और व्यक्ति को महान बनाते हैं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर ने अपने सम्बोधन में कहा कि जीवन के अंधकार को मिटाने का काम गुरू का होता है। गुरू से ही व्यक्ति का जीवन महताशाली बन पाता है। कार्यक्रम में दीपक कुमार, प्रियासिंह, ममता, राधा, दीपक, ललिता, सुनीता, चित्रा आदि ने भी गुरू-शिष्य के सम्बंधों पर अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर विद्यार्थियों ने शिक्षकों को उपहार प्रदान करके सम्मानित किया। कार्यक्रम का संचालन विद्यार्थियों द्वारा किया गया।
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