जैन विश्वभारती संस्थान में शिक्षा विभाग में आयोजित पुस्तक समीक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत आचार्य महाप्रज्ञ लिखित पुस्तक ‘‘ पहला सुख निरोगी काया’’ की समीक्षा प्रस्तुत
आचार्य महाप्रज्ञ की पुस्तक ‘पहला सुख निरोगी काया’ पर समीक्षा प्रस्तुत
लाडनूँ, 12 दिसम्बर 2019। आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष समारोह के अन्तर्गत जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में शिक्षा विभाग में आयोजित पुस्तक समीक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत आचार्य महाप्रज्ञ लिखित पुस्तक ‘‘ पहला सुख निरोगी काया’’ की समीक्षा प्रस्तुत की गई। समीक्षा प्रस्तुत करते हुये डाॅ. गिरधारी लाल शर्मा ने बताया कि आचार्य महाप्रज्ञ ने पहला सुख निरोगी काया को महत्वपूर्ण व गहरे सूत्र के रूप में लिया है और अपने शरीर के स्नायुओं, शरीर के अवयवों हाथ पैर वाणी आदि इंद्रियों को गलत आदतों से बचाने व सही आदतें ग्रहण करवाने की आवश्यकता बताई है। उन्होंने पुस्तक में शारीरिक बीमारियों के पनपने के कारणों पर ध्यान दिया गया है तथा उन्हें मन की गहराई में उतर कर हल करने के उपाय खोजे गये हैं। पुस्तक में हाथों में विनम्रता व सौहार्द, वाणी में शालीनता व शिष्टता की वृद्धि तथा मानसिक रूप से क्रोध को हटाने की जरूरत बताई है तथा क्रोध को वात-पित-कफ व रक्त के आंतरिक कारणों से उत्पति बताई है। उन्होंने क्रोध पर नियंत्रण के सफल उपाय भी पुस्तक में बताये हैं। इसी तरह से अहंकार, आसक्ति, भय, असहिष्णुता, अनिद्रा, बढती हुई कामवासना, मानसिक दुर्बलता आदि के भी उपचार व्यक्त किये हैं। आहार विवेक, एकाग्रता का अभ्यास, संयम, श्वास प्रेक्षा, प्रेक्षा ध्यान, जालंधर बंध, अनुप्रेक्षा, कायोत्सर्ग, प्राणायाम, आसन आदि के रूप में शरीरिक व मानसिक रूप से पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्ति के उपाय भी बताये हैं। डाॅ. शर्मा ने बताया कि महाप्रज्ञ की इस पुस्तक में कुुल 24 अध्याय हैं, जिनमें सर्वांगीण व सम्पूर्ण स्वास्थ्य से जुड़े लगभग प्रत्येक विषय को उठाते हुये उसके उपायों का विवरण प्रसतुत किया गया है। रूग्णता के कारणों, प्रभावों और उनके निवारण के उपायों को उन्होंने सहज भाषा में सरल प्रयोगों के साथ तथा सूक्ष्म चिंतन के माध्यम से व्यक्त किया है। यह पुस्तक व्यक्ति के जीवन में आवश्यक बदलाव लाने में समर्थ है। अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने पुस्तक को आम आदमी के लिये पढने योग्य एवं उपयोगी बताते हुये उसमें दिये गये सूत्रों को जीवन में उतारने की आवश्यकता बताई। इस अवसर पर डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. सरोज राय, डाॅ. आभासिंह आदि उपस्थित थे।
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