जैन विश्वभारती संस्थान में आचार्य महाप्रज्ञ के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर आचार्य महाप्रज्ञ कृत ‘कर्मवाद’ ग्रंथ की समीक्षा
साधना से बदला जा सकता है कर्मजनित समस्याओं व घटनाओं को- समणी रोहिणी प्रज्ञा
लाडनूँ, 24 फरवरी 2020। आचार्य महाप्रज्ञ के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में संचालित ग्रंथ समीक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत अहिंसा एवं शांति विभाग में समणी रोहिणी प्रज्ञा ने आचार्य महाप्रज्ञ कृत ‘‘कर्मवाद’’ ग्रंथ पर समीक्षा प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि जीवन की समस्त घटनायें कर्मजनित नहीं होती है और कर्म-सिद्धांत से होने वाले और कम्र की भूमिका से रहित घटनाओं-समस्याओं के फर्क को समझने से ही अध्यात्म को सहीस्वरूप में समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि कर्मवाद अध्यात्म का एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है, लेकिन इस सम्बंध में सही समझ के बजाये भ्रंतियां अधिक पनपी हैं। इस कारण कर्मवाद का महान सिद्धांत उपयोगी होने के बजाये समस्या के रूप में भी उभर कर सामने आया है। जैन दर्शन में कर्मवाद के संदर्भ में एक अवधारण रही है कि प्रत्येक घटना के पीेछे कर्म की ही भूमिका होती है। इस कारण गरीबी, बेरोजगारी और अन्य शरीरिक, मानसिक बीमारियों आदि को पनपने का मौका मिलता रहा है। आचार्य महाप्रज्ञ की एक महत्वपूर्ण कृति है ‘कर्मवाद’, जिसमें उनका मंतव्य रहा कि जीवन के कुछ प्रसंगों का कर्म से सिद्धांत से कुछ लेना देना नहीं है। संवदन की भूमिका पर ही कर्म का सही अंकन होता है। कर्म बुहत कुछ है, लेकिन सबकुछ नहीं है। चेतना का साम्राज्य अधिक शक्तिशाली है, इसलिये पुरूषार्थ, जो चेतना से निकलने वाला तत्व है, उससे संक्रमण एवंपरिवत्रन घटित हो सकता है। ध्यान, प्रतिक्रमण एवं प्रायश्चित जैसी अमूल्य साधना पद्धतियो ंसे परिवर्तित घटित किये जा सकते हैं। यदि हम कम्र से होने वाली घटनाओं तथा ऐसी घटनाओं, जिनमें कर्म की कोई भूमिका नहीं होती, उनके भेद को स्पष्ट समझ लेंगे, तो वास्तव में अध्यात्म को सही रूप में समझ सकेंगे एवं समस्याओं का सही समाधान भी कर पायेंगे। अंत में विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर ने आभार ज्ञापित किया और कहा कि अध्यात्म के सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत को आचार्य महाप्रज्ञ ने हल किया और एक सतार्किक विवरण देकर लोगों में व्याप्त भ्रांतियों का समाधान किया है। ग्रंथ समीक्षा कार्यक्रम का संयोजन डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने किया। इस अवसर पर रेणु गुर्जर, पिंकी, पूजा महिया, कल्पना सिधू, हंसराज कंवर, प्रतिभा कंवर, राजकुमारी आदि विद्यार्थियों ने भी अपनी शंकाओं का समाधान प्राप्त किया।
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