जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में पुस्तक समीक्षा कार्यक्रम में ‘‘जैन विद्या और विज्ञान’’ पुस्तक पर समीक्षा प्रस्तुत

जैन दर्शन में समाहित हैं आधुनिक विज्ञान के सिद्धांत

लाडनूँ, 29 फरवरी 2020। आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग में चल रहे पुस्तक समीक्षा कार्यक्रम में आचार्य महाप्रज्ञ के साहित्य से सम्बद्ध पुस्तक जैन विद्या और विज्ञान की समीक्षा भौतिक विज्ञान की सहायक आचार्या राजश्री शर्मा ने प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि प्रसिद्ध लेखक डाॅ. महावीर राम गेलड़ा की इस कृति में जैन दर्शन का चिन्तन अध्यात्म या धर्म तत्वों तक ही सीमित नहीं रखा गया है, बल्कि आधुनिक विज्ञान के विषयों- भौतिकी, जैविकी, परमाणु विज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित, स्वास्थ्य विज्ञान, सामाजिक विज्ञान आदि विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के साथ प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक में लेखक ने जैन विद्या और विज्ञान पर तीन भागों में चर्चा की है, जिनमें प्रकृति का दर्शन, विज्ञान का दर्शन और विज्ञज्ञन का समाज शास्त्र शामिल हैं। जैन दर्शन का भारहीनता का सिद्धांत आइंस्टीन के गुरूत्वाकर्षण सिद्धांत के समतुल्य है, लेकिन उसे पर्याप्त प्रचार नहीं मिल पाया। इसी प्रकार प्रकृति के गतिशीलता के सिद्धांत के अनुसार जैन आगम साहित्य में गति सम्बंधी अनेक प्रकरण अंकित हैं और आचार्य महाप्रज्ञ ने भी इसका रोचक विवरण प्रस्तुत किया था। पुस्तक में दिये गये वर्णन में ब्लेक होल, परमाणु की गति, आकाश के तीन आयाम, घनत्व, गुरूत्वाकर्षण, बिग-बैग, ताप, विज्ञान जगत में ईथर तत्व की अमान्यता, जैन गणित, गणित के दस प्रकार आदि विषयों पर गहन चिंतन प्रस्तुत किया गया है। समीक्षा के अंत में डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर डाॅ. मनीश भटनागर, डाॅ. आभा सिंह, डाॅ. गिरीराज भोजक, रवि प्रकाश, स्वाति खटेड़ आदि उपस्थित रहे।

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