जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के तत्वावधान में सात दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
प्राकृत भाषा को पुनः जनोपयोगी बनाने की आवश्यकता है- प्रो. शास्त्री
लाडनूँ, 24 अगस्त 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के तत्वावधान में सप्तदिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय प्राकृत भाषा कार्यशाला के शुभारम्भ पर पं. बंगाल के शांतिनिकेतन विश्वभारती विश्वविद्यालय के प्रो. जगतराम भट्टाचार्य ने प्राकृत भाषा के उद्भव और विकास यात्रा के बारे में बताते हुए उसकी समृद्ध साहित्य रचना और आज के संदर्भ में उसके महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. दामोदर शास्त्री ने कार्यशाला के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आज प्राकृत भाषा को पुनः जनोपयोगी बनाने की आवश्यकता है। इससे पूर्व डॉ. समणी संगीतप्रज्ञा ने अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत किया। कार्यशाला का शुभारम्भ समणी प्रणव प्रज्ञा के मंगलाचरण से किया गया। कार्यशाला में देश-विदेश के 144 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. सत्यनारायण भारद्वाज ने बताया कि प्रतिदिन सायं 4 से 6 बजे तक 2 घंटे तक इस कार्यशाला में विशेष भाषा कक्षाएं आयोजित की जा रही हैं।
भारतीय संस्कृति के लिए जीवनदायिनी है प्राकृत भाषा- प्रो. जैन
7 सितम्बर 2021। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत व संस्कृत विभाग के तत्वावधान में कुलपति प्रो. बच्छराजू दूगड़ के निर्देशन में आयोजित सात दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला में जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. धर्मचंद जैन ने अपने सम्बोधन में कहा है कि प्राकृत भाषा भारतीय भाषाओं का ताज है। यह भाषा जीवित ही नहीं जीवनदायिनी भी है। भारतीय संस्कृति को जीवित रखने के साथ-साथ इस भाषा ने उसे आगे भी बढाया है। उन्होंने प्राकृत भाषा एवं साहित्य के विषय में कहा कि वर्तमान समय में अनेक विद्वान हैं, जो प्राकृत भाषा में अपनी साहित्य-सर्जना करते हुए इस भाषा का संरक्षण एवं संवर्द्धन कर रहे हैं। कार्यशाला के विषय विशेषज्ञ विश्व भारती शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय पं. बंगाल के प्रो. जगतराम भट्टाचार्य ने प्राकृत के प्रशिक्षण पर जोर देते हुए कहा कि यदि इस भाषा के प्रशिक्षण के लिए प्राच्यविद्या संस्थान प्रयास करें, तो यह भाषा अपने जनभाषा के रूप में पुनः स्थापित हो सकती है। अपने सात दिवस के प्रशिक्षण-काल में उन्होंने प्राकृत भाषा की बारीकियों से प्रशिक्षणार्थियों को अवगत करवाया। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए जैविभा संस्थान विश्वविद्यालय के प्रो. दामोदर शास्त्री ने प्राकृत के साथ-साथ संस्कृत सीखने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यदि हमें प्राकृत सीखनी है तो संस्कृत के बिना प्राकृत को सीखना असंभव है। उन्होंने अनेक उदाहरणों द्वारा प्राकृत व संस्कृत की परस्पर पूरकता को स्पष्ट किया। कार्यशाला के करीब 10 प्रतिभागियों ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन होते रहने से प्रशिक्षुओं को लाभ मिलने के साथ भाषा का उत्थान भी संभव होता है। कार्यक्रम का प्रारम्भ डा. अरिहन्त जैन के मंगलाचरण से किया गया। स्वागत वक्तव्य डा. समणी संगीतप्रज्ञा ने प्रस्तुत किया। अंत में कार्यशाला संयोजक डा. सत्यनारायण भारद्वाज ने आभार ज्ञापित किया। इस कार्यशाला में देश-विदेश के कुल 146 प्रतिभागियों ने सहभागिता की।
Latest from
- जैविभा विश्वविद्यालय में भव्य कवि सम्मेलन आयोजित
- राष्ट्रीय स्तरीय सात दिवसीय जैन स्काॅलर कार्यशाला आयोजित
- 15वां दीक्षांत समारोह अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में गुजरात के सूरत में आयोजित
- सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में छात्राओं ने सजाई आकर्षक रंगोलियां
- तीन दिवसीय ‘यह दिवाली, माय भारत वाली’ कार्यक्रम आयोजित
- राष्ट्रीय एकता व दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया
- पुरखों व संस्कारों के प्रति आस्था होने पर ही व्यक्ति की सम्पूर्णता- ओंकार सिंह लखावत
- दीपावली पर तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित
- मेहंदी प्रतियोगिताओं में 28 छात्राओं ने हाथों पर सजाई नई-नई डिजाइनें
- एनएसएस की स्वयंसेविकाओं ने विश्वविद्यालय में सफाई अभियान चलाया
- जैन विश्व भारती संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग की सहायक आचार्य डॉ.लिपि जैन को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
- संस्थान में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वाधान में प्रथम एकदिवसीय शिविर का आयोजन
- अनुपयोगी सामग्री के उपयोग से सजावटी व उपयोगी वस्तुओं का निर्माण
- आईपीएसएस द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में महिला सशक्तिकरण मुद्दा छाया रहा
- केन्द्रीय उच्च शिक्षा मंत्री ने जैविभा संस्थान की प्राच्य विद्याओं व मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की
- छात्राध्यापिकओं ने गरबा महोत्सव आयोजित
- विश्व दृष्टि दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
- अहिंसा एवं शांति विभाग के विद्यार्थियों ने किया शैक्षणिक भ्रमण
- शिक्षा विभाग में नवागन्तुक छात्राध्यापिकाओं के स्वागत के लिए ‘सृजन 2024’ का आयोजन
- आगमों एवं प्राचीन अभिलेखों में मौजूद हैं भारतीय संस्कृति के समस्त मूल तत्व- डाॅ. समणी संगीतप्रज्ञा
- ‘उत्तम स्वास्थ्य एवं आध्यात्मिक अनुकूलता’ विषय पर व्याख्यान
- विश्व शिक्षक दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
- रक्तदाता स्वयंसेविकाओं व छात्राओं को प्रमाण पत्र देकर किया सम्मानित
- एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने लगाए पंछियों के लिए परिंडे, चुग्गा-पात्र व घोंसले
- लाडनूँ से 52 छात्राध्यापिकाओं के दल ने गुजरात व माउंट आबू का किया पांच दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण
- प्राकृत भाषा और साहित्य के विकास में जैनाचार्यों और मनीषियों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा- डाॅ. रविन्द्र कुमार खाण्डवाला
- राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर किया गया आयोजन
- महात्मा गांधी जयंती पर एक कार्यक्रम का आयोजन
- नैतिकता की उड़ान के लिए प्रेक्षाध्यान-जीवन विज्ञान की आवश्यकता- प्रो. त्रिपाठी
- योग एवं जीवन विज्ञान विभाग में नव आगंतुक विद्यार्थियों का स्वागत समारोह आयोजित
- स्वच्छता पखवाड़े के तहत एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने किया श्रमदान
- जिला कलेक्टर पुखराज सैन ने लाडनूं में मुनिश्री जयकुमार के दर्शन किए और आध्यात्मिक चर्चा की
- ‘क्रोध नियंत्रण एवं संयमित आचरण’ के लिए विद्यार्थियों को किया प्रेरित'
- खानपुर में भियाणी में निकाली गई स्वच्छता जागरूकता रैली
- लाडनूँ की छात्राओं ने लिया भारतीय युवा संसद में हिस्सा,
- ‘स्वच्छता ही सेवा’ के तहत छात्राध्यापिकाओं द्वारा आयोजित किया गया कार्यक्रम
- कस्तूरबा गांधी अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय में श्रमदान व पौधारोपण किया
- जैविभा विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस मनाया
- छात्राध्यापिकाओं ने ‘पर्यावरण क्लब’ द्वारा बताया स्वच्छता का महत्व
- एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने स्वच्छता जागरूकता रैली निकाली और कचरा व नाकारा सामान से बनाए आकर्षक उपयोगी आइटम्स
- मेधावी छात्रा मीनाक्षी भंसाली को परीक्षा परिणाम के आधार पर राजस्थान सरकार से मिला टैबलेट
- शांति मानव कल्याण का आधार - श्री विक्की नागपाल
- स्वच्छता पखवाड़े के अंतर्गत छात्राओं को दिलवाई स्वच्छता की शपथ
- स्वच्छता पखवाड़े के अंतर्गत छात्राओं ने बनाई अनुपयोगी सामान से उपयोगी सामग्री
- स्वच्छता जागरूकता संबंधी रैली निकल गई
- जैन विश्व भारती संस्थान में स्वच्छता पखवाड़े का आयोजन
- महिला स्वतंत्रता सेनानी मणिबेन के जीवन व कार्यों को याद किया
- मान, सम्मान और गौरव की भाषा है हिन्दी- प्रो. जैन
- व्यक्तित्व विकास के लिए आत्मविश्वास व अनुशासन अधिक जरूरी- नाहटा
- क्षमा के आदान-प्रदान से बन सकता है कार्य-व्यवहार और जीवन शुद्ध- कुलपति प्रो. दूगड़