आचार्य तुलसी की 110 वीं जयंती पर गुरू सुमरिन सभा आयोजित

तुलसी ने अछूतोद्धार, महिला उत्थान आदि समाज सुधार में महत्वपूर्ण कार्य किए

लाडनूँ, 15 नवम्बर 2023। तेरापंथ धर्मसंघ के नौंवें आचार्य एवं जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्रथम अनुशास्ता गणाधिपति आचार्यश्री तुलसी के 110 वें जन्मोत्सव पर उनकी स्मृति में गुरू सुमिरन सभा का आयोजन विश्वविद्यालय के सेमिनार होल में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। प्रो. दूगड़ ने बताया कि आचार्य तुलसी का देश के सभी महत्वपूर्ण राजनीतिज्ञों द्वारा सममान किया जाता था। उन्होंने प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू, साहित्यकार डॉ. जैनेन्द्र जैन, जयप्रकाश नारायण आदि के साथ आचार्य तुलसी के संस्मरण भी प्रस्तुत किए। कुलपति ने आचार्य तुलसी के समाज सुधार सम्बंधी, महिला उत्थान एवं अछूतोद्धार सम्बंधी उदाहरण भी दिए और कहा कि वे बहुआयामी संत थे। वे साहित्यकार, शिक्षाविद्, आध्यात्मिक, प्रशासनिक सुधारक आदि सभी क्षेत्रों में अपनी परिवर्तन के अग्रदूत रहे। वे सबको जोड़ कर रखते थे। छोटे से छोटे व्यक्ति को पहचान कर उन्हें प्रेरित करते थे। उसके बाद वह व्यक्ति सदा के लिए जुड़कर रह जाता था। सभा में प्रो. दामोदर शास्त्री, प्रो. नलिन के. शास्त्री, प्रो. बीएल जैन, डॉ. लिपि जैन, डॉ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत, डॉ. घनश्यामनाथ कच्छावा व डॉ. रविन्द्रसिंह राठौड़ ने अपने विचार व्यक्ति करते हुए आचार्य तुलसी प्रणीत अणुव्रत आंदोलन, नैतिकता का प्रसार, सब धर्म जातियों से पहले मानवता को मानने आदि गुणों का वर्णन प्रस्तुत किया और उन्हें महात्मा गांधी के बाद सदी का सबसे महान व्यक्ति बताया। सभी ने उनके लिए श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर डॉ. अशोक भास्कर, शरद जैन, पंकज भटनागर, डॉ. सरोज राय, प्रगति चौरड़िया, राजेन्द्र बागड़ी, जगदीश प्रसाद, डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. प्रगति भटनागर, मनीषा आदि उपस्थित रहे।

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