शैक्षिक और मनोवैज्ञानिक घटकों की महत्ता से शिक्षा को सशक्त किया जा सकता है- प्रो. जैन

लाडनूँ, 03 मार्च 2025। जैन विश्वभारती संस्थान के शोध एवं विकास प्रकोष्ठ द्वारा संचालित स्थानीय मासिक व्याख्यानमाला के अंर्तगत मुख्य वक्ता प्रो. बी.एल. जैन ने ‘शिक्षा को सशक्त बनाने के शैक्षिक और मनोवैज्ञानिक घटकों की महत्ता’ विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि शिक्षा को सशक्त मनुष्य में अंतर्निहित शक्तियों के प्रस्फुटन एवं उनका विकास द्वारा किया जा सकता है। शिक्षा को केवल विद्यालय या पाठ्यपुस्तक तक ही सीमित नहीं करके उसे अपने परिवेश, सामाजिक परिवेश, सांस्कृतिक परिवेश से भी जोड़ने का प्रयास करना चाहिए। एन.ई.पी 2020 में शिक्षा को मजबूत बनाने के लिए जीवन कौशल, मूल्यों का विकास, रचनात्मक क्षमताओं का विकास, भारतीय ज्ञान प्रणालियों और परम्पराओं का संवर्धन, बहु-भाषिकता को बढ़ावा, तार्किक और समस्या-समाधान सम्बन्धी क्षमताओं का विकास, लचीलापन आदि को समावेशन पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम शिक्षा की आत्मा है। वह जितना सशक्त होगा शिक्षा उतनी मजबूत होगी। अतः पाठ्यक्रम में बाह्य जगत की अपेक्षा आंतरिक जगत की शिक्षा को अधिक महत्त्व देना चाहिए। शिक्षा के उद्देश्य प्राप्ति में पाठ्यक्रम की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। पाठ्यक्रम समाज, स्थानीय, प्रादेशिक, राष्ट्रीय आवश्यकताओं की पूर्ति करते हुए पाठ्यक्रम को वैश्विक स्तर के अनुसार तैयार किये जाने की आवश्यकता है। पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान परंपरा का समावेश, रोजगारपरक, व्यवसायोन्मुख, एंट्रेप्रेंयूर्शिप, कौशलविकास, मशीन लर्निंग, सामाजिक चुनौतियां, स्मार्ट लर्निग, जलवायु परिवर्तन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, जैव प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित विषय को जोडकर शिक्षा को मजबूत बनाया जा सकता है। पाठ्यक्रम को छात्रों तक पहुंचाने हेतु निर्माणवाद, मानसिक चित्रण, फिलप्ड क्लास रूम, समस्या-समाधान विधि, रचनात्मक विधि, डिस्कवरी लर्निग/खोज आधारित नवीन विधियों का प्रयोग करना चाहिए। कक्षा-कक्ष को प्रभावी बनाने हेतु शिक्षक को कक्षा-कक्ष में उद्दीपन परिवर्तन कौशल, व्यक्तिगत विभिन्नता, व्यक्तित्व का विकास, नवाचार, आनन्ददायी शिक्षा आदि मनोवैज्ञानिक घटकों का प्रयोग करना चाहिए। जिससे शिक्षा को अधिक सशक्त बनाया जा सकता है। कार्यक्रम में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के निवर्तमान विभागाध्यक्ष प्रो. अशोक जैन, प्रो. सुषमा सिंघवी, कार्यक्रम समन्वयक प्रो. जिनेन्द्र जैन, प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, डॉ. पी.एस. शेखावत, डॉ. रविन्द्र सिंह, डॉ. बलवीर सिंह, डॉ. मनीष भटनागर, डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. अमिता जैन, डॉ. गिरिराज भोजक, डॉ. आभा सिह, डॉ. ममता पारीक, सुश्री स्नेहा शर्मा आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. सत्यनारायण भारद्वाज ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अभिषेक चारण ने किया।

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