पदमपुरा गांव में स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

ग्रामीण महिलाओं एवं पुरूषों को दी स्वच्छता, पोषण एवं रोगों की रोकथाम की जानकारी

लाडनूँ, 15 अप्रेल 2025। जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग एवं अहिंसा एवं शांति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में पदमपुरा गांव में एक विशेष स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण समुदाय को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक बनाना, स्वच्छता और पौष्टिक जीवनशैली के प्रति संवेदनशील करना तथा जलजनित और संक्रामक रोगों से बचाव के उपायों की जानकारी देना था। कार्यक्रम की शुरुआत गांव के सामुदायिक स्थल पर एक संवाद सत्र के साथ हुई, जिसमें ग्रामीणों की भागीदारी सराहनीय रही।

स्वास्थ्य के लिए जरूरी है स्वच्छ जल, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और तनाव से मुक्ति

अहिंसा एवं शांति विभाग के प्रतिनिधि डॉ. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि स्वास्थ्य केवल बीमारी से मुक्त रहना नहीं है, बल्कि यह तन, मन और समाज की समग्र स्थिति का नाम है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर लोग छोटी बीमारियों को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे वे बड़ी समस्याओं का रूप ले लेती हैं। उन्होंने स्वच्छ जल, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और मानसिक तनाव से बचाव पर बल दिया। कार्यक्रम में शिक्षा विभाग की प्रतिनिधि डॉ. ममता पारीक ने कहा कि महिलाओं और बच्चों का स्वास्थ्य समाज की नींव है। उन्होंने बाल्यावस्था में कुपोषण, किशोरियों में हीमोग्लोबिन की कमी, और महिलाओं के लिए माहवारी स्वच्छता जैसे विषयों को सरल भाषा में समझाया। उन्होंने ग्रामीण महिलाओं से संवाद करते हुए घरेलू उपायों और सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं की जानकारी भी साझा की।

घर-घर दस्तक देकर किया स्वास्थ्य के प्रति जागरूक

इस कार्यक्रम के दौरान संस्थान के विद्यार्थियों एवं स्वयं सेविकाओं ने गांव के विभिन्न मोहल्लों में जाकर घर-घर दस्तक दी, और पंपलेट वितरित किए जिनमें स्वच्छता, पोषण, जलजनित बीमारियों से बचाव, टीकाकरण, मानसिक स्वास्थ्य और प्राथमिक उपचार की जानकारी दी गई थी। इन पंपलेट्स को सरल भाषा और चित्रों के माध्यम से इस प्रकार तैयार किया गया था कि हर वर्ग के व्यक्ति आसानी से समझ सके। स्वयंसेविका खुशी जोधा ने कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका निभाई। विद्यार्थियों ने महिलाओं और बुजुर्गों से संवाद स्थापित कर उन्हें स्वच्छ जल के उपयोग, हाथ धोने की आदत और नियमित स्वास्थ्य जांच की आवश्यकता के बारे में बताया। कार्यक्रम के अंत में एक खुले संवाद सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें ग्रामीणों ने अपनी शंकाएं साझा कीं और विशेषज्ञों ने समाधान प्रस्तुत किए। ग्रामीणों ने इस पहल की सराहना करते हुए आग्रह किया कि ऐसे कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाएं।

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