कुलपति प्रो. दूगड़ ने की उप राष्ट्रपति से भेंट

उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ लाडनूं आएंगे, यहां आचार्यश्री महाप्रज्ञ प्रज्ञा-संवर्द्धिनी व्याख्यानमाला में लेंगे हिस्सा

लाडनूँ, 17 अप्रेल 2025। महान् विचारक व मंत्रदृष्टा आचार्यश्री महाप्रज्ञ की स्मृति में जैन विश्वभारती संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष आयोज्य ‘आचार्यश्री महाप्रज्ञ प्रज्ञा-संवर्धिनी व्याख्यानमाला’ में इस बार उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ मुख्य अतिथि रहेंगे तथा वे अपना व्याख्यान भी प्रस्तुत करेंगे। उनके व्याख्यान के लिए उन्हें भारतीय संस्कृति, मूल्य-शिक्षा, आध्यात्मिकता, शांति की संस्कृति अथवा अपनी रुचि के अन्य संबंधित विषय का आग्रह किया गया है। कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने उनसे नई दिल्ली में उनके निवास पर भेंट करके उन्हें आचार्य महाप्रज्ञ, जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय और भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों के बारे में बताया और व्याख्यानमाला के लिए आमंत्रित किया। हालांकि उप राष्ट्रपति धनखड़ ने अभी लाडनूं आने व व्याख्यानमाला में भाग लेने के लिए अपनी कोई तिथि निश्चित नहीं की है, लेकिन कुलपति प्रो. दूगड़ ने उन्हें अपनी सुविधा को ध्यान में रखते हुए अगस्त से अक्टूबर माह में कोई तिथि व्याख्यान के लिए तय करने का विकल्प प्रस्तुत किया है, जिस पर उपराष्ट्रपति ने अपनी सहमति प्रदान की।

जैविभा विश्वविद्यालय एवं आचार्य महाप्रज्ञ के बारे में बताया

कुलपति प्रो. दूगड़ ने उन्हें बताया कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ युवा छात्र-छात्राओं के जीवन को नैतिक मूल्यों से युक्त करने का सकारात्मक उपक्रम में स्फूर्त यह जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय अपने तीन दशकों की शैक्षणिक यात्रा में सफल हुआ है। राष्ट्रीय मूल्यंाकन एवं प्रत्यायन परिषद ने इस विश्वविद्यालय का मूल्यंाकन करने के बाद इसे ‘ए’ ग्रेड प्रदान किया है। उन्होंने बताया कि संस्थान के द्वितीय अनुशास्ता एवं जैन श्वेताम्बर तेरापंथ सम्प्रदाय के 10वें आचार्य आचार्यश्री महाप्रज्ञ एक अभिनव विचारक एवं एक अभूतपूर्व योगी थे, जिन्होंने एक अनूठी नवीन ध्यान-पद्धति ‘प्रेक्षाध्यान’ की शुरुआत की, जो आंतरिक शांति के मार्ग को प्रकाशित एवं प्रशस्त करती है। वे भारतीय एवं पाश्चात्य दर्शन तथा जैन आगम के प्रकाण्ड विद्वान् थे तथा उन्होंने 300 से अधिक पुस्तकों के विपुल साहित्य का सृजन किया। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम आचार्यश्री महाप्रज्ञ से बहुत प्रभावित थे एवं उन्होंने आचार्य महाप्रज्ञ के साथ प्रसिद्ध पुस्तक ‘फैमिली एवंड द नेशन’ का सह-लेखन किया था। आचार्यश्री ने अपने जीवन-काल में एक लाख किलोमीटर से अधिक की असाधारण पद-यात्रा की एवं अपनी ‘अहिंसा-यात्रा’ के माध्यम से जन-मानस के मध्य अहिंसा, शांति एवं सद्भाव के सिद्धान्तों का प्रचार-प्रसार किया। प्रसिद्ध हिन्दी कवि रामधारी सिंह दिनकर ने उन्हें दूसरा विवेकानन्द कहा था। ऐसे महान् दृष्टा आचार्यश्री महाप्रज्ञ की स्मृति में यह विश्वविद्यालस प्रतिवर्ष ‘आचार्यश्री महाप्रज्ञ प्रज्ञा-संवर्धिनी व्याख्यानमाला’ का आयोजन करता आया है।

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