एक दिवसीय परामर्शदाता कार्यशाला आयोजित

जैविभा विश्वविद्यालय में विभिन्न नए पाठ्यक्रमों का इसी सत्र से प्रारम्भ- कुलपति प्रो. दूगड़

लाडनूँ, 31 मई 2025। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के दूरस्थ एवं आॅनलाईन शिक्षा केन्द्र के तत्वावधान में एक दिवसीय परामर्शदाता कार्यशाला का आयोजन शनिवार को किया गया। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा कि विश्वविद्यालय में नए कोर्सेंज शुरू किए गए हैं। इसी सत्र से नेचुरोपैथी का कोर्स बीएनवाईएस शुरू किया जा रहा है। राजस्थानी साहित्य का पाठ्यक्रम भी शुरू किया गया है। इसमें बीए और एमए के साथ शोधकार्य पीएचडी को भी शुरू किया जा रहा है। संस्कृत में भी स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा 15 से 20 सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए गए हैं, जिनमें कुछ दूरस्थ शिक्षा हैं और कुछ नियमित कोर्स हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति को लागू किया जा चुका है। अब यहां से केवल प्रथम वर्ष उतीर्ण किया तो सर्टिफिकेट, दो वर्ष में डिप्लोमा, 3 वर्ष में बीए की डिग्री और 4 वर्ष बाद बीए ओनर्स की डिग्री मिलेगी। 4 वर्ष का कोर्स करने के बाद एमए के लिए केवल एक वर्ष का ही कोर्स रहेगा। विद्यार्थी अपनी इच्छा से कोर्स कर सकेगा। उन्होंने इस अवसर पर एकेडमिक बैंक आॅफ क्रेडिट (ए.बी.सी.) की व्यवस्था के बारे में जानकारी भी दी और कहा कि इसमें बच्चों का एकाउंट खुलता है। इसमें पहले वर्ष एक्जाम दिया वह क्रेडिट हो जाता है। फस्र्ट सेमेस्टर पर 20 अंक की क्रेडिट जमा हो जाएगी। ऐसे 70-80 क्रेडिट होने पर डिग्री मिलेगी। टुकड़े-टुकड़े में अध्ययन पर भी डिग्री ली जा सकती है। यह नियमित पाठ्यक्रमों में किया जा चुका है और दूरस्थ शिक्षा में भी शीघ्र ही किया जाएगा। उन्होंने इसी साल दूरस्थ शिक्षा के साथ आॅनलाईन कोर्सेज होने की जानकारी भी दी। कुलपति ने डिजीलोकर की जानकारी देते हुए उसे अंकतालिका प्राप्त करने का प्रमाणिक माध्यम बताया।

समन्वयकों के लिए पुरस्कारों की घोषणा

कुलपति प्रो. दूगड़ ने इस अवसर पर कार्यशाला में सम्मिलित सभी समन्वयकों को विद्यार्थी संख्या बढाने के लिए प्रेरित किया और उसे विश्वविद्यालय के विकास के लिए आवश्यक बताया। साथ ही कुलपति ने घोषणा की कि तीन श्रेणियों में अब 25 या 25 से अधिक एडमिशन करने वाले समन्वयकों, 50 या 50 से अधिक एडमिशन वालों और 75 या 75 से अधिक एडमिशन वाले समन्वयकों को आकर्षक नकद राशि प्रदान करके पुरस्कृत किया जाएगा। उन्होंने किसी भी प्रकार की समस्या के लिए उन्हें एक निर्धारित ईमेल पर मेल करने के लिए कहा तथा बताया कि ईमेल करने के बाद तत्काल सम्बंधित अधिकारी उस समस्या का निस्तारण करेगा। कार्यक्रम के दौरान विभिन्न समन्वयकों ने अपने सामने आने वाली समस्याओं के बारे में बताया, जिनका कुलपति ने समाधान व शंका-निवारण किया।

उत्कृष्ट कार्य के लिए किया सम्मान

परामर्शदाता कार्यशाला में सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी संख्या देने वाले तीन समन्वयकों एवं श्रेष्ठ प्रशिक्षण प्रदान करने वाले केन्द्रों के समन्वयकों का सम्मान किया गया। इनमें सर्वाधिक एडमिशन के लिए देवातु (जोधुपर) की दिव्या राठौड़, उसके बाद डेह की केलम देवी और कानूंता के नेमीचंद का सम्मान किया गया। बेहतरीन प्रशिक्षण के लिए जयपुर की रीना गोयल और मुकुन्दगढ (झुंझुनूं) के सीताराम सैनी का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए दूरस्थ एवं आॅनलाईन शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने करते हुए कार्यशाला की रूपरेखा और पूरी जानकारी प्रस्तुत की। कार्यशाला का प्रथम सत्र निदेशक प्रो. त्रिपाठी की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इसमें परीक्षा नियंत्रक प्रखर तिवारी ने आॅनलाई एडमिशन और परीक्षाओं के सम्बंध में विस्तार से जानकारी देते हुए और चर्चा करते हुए सिस्टम को स्मूथ बनाने में मददगार बनने के लिए प्रेरित किया। तिवारी ने समयबद्धता को सबसे जरूरी बताया और कहा कि क्वालिटी मेंटेन करके इस ब्रांड बनाएं। उन्होंने एक्जामिनेशन प्रोसेस को जीरों एरर वाला बनाने की आवश्यकता बताई। डिप्टी रजिस्ट्रार अभिनव सक्सेना ने ओनलाईन एडमिशन की पूरी प्रक्रिया को व्यावहारिक तौर पर स्क्रीन पर प्रदर्शित करके बताया। साथ ही एबीसी का पूरा प्रोसेस समझाया। प्रो. त्रिपाठी ने स्टडी मैटेरियल और एसाइनमेंट की व्यवस्थाओं की जानकारी देते हुए आने वाली समस्याओं के बारे में बताया। उन्होंने सभी से विश्वविद्यालय की वेबसाईट को बराबर देख कर लाभ उठाने, व्हाट्सअप के मैसेज के प्रति चैकन्ना रहने और आॅटो रिप्लाई के माध्यम से समस्याओं का समाधान पाने के लिए प्रेरित किया। सत्र का संचालन डा. जेपी सिंह ने किया। द्वितीय सत्र का आयोजन विताधिकारी राकेश जैन की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इसमें दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, कुलसचिव राजेश मौजा, परीक्षा नियंत्रक प्रखर तिवारी, उप कुलसचिव अभिनव सक्सेना ने समस्याओं का समाधान किया। कार्यक्रम का संचालन पंकज भटनागर ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डा. आयुषी शर्मा ने किया। कार्यशाला में रमाशंकर ओझा पटना, जसवंतसिंह नागौर, बजरंगपुरी डेह, नवीन कुमार नोहर, जर्नादन शर्मा खाटु श्यामजी, महबूब तेली कुचेरा, शंकरलाल सैनी चूरू, सीताराम भादू झड़ीसरा, मुक्तिलाल अग्रवान नवलगढ, भवरसिंह बीदावत लाडनूं, रवि कुमार नागौर आदि 40 समन्वयक उपस्थित रहे तथा इनके अलावा बड़ी संख्या में समन्वयक आॅनलाईन भी कार्यशाला से जुड़े रहे।

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