जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) का गणिनी आर्यिका माता ने ससंघ किया अवलोकन

जीवनकाल का महत्वपूर्ण अंग है विद्यार्थी जीवन- आर्यिका विभाश्री

लाडनूँ, 8 जनवरी 2020। स्थानीय दिगंबर जैन सम्प्रदाय के आचार्य विराग सागर महाराज की शिष्या गणिनी आर्यिका विभाश्री माता ससंघ यहां अपना शीतकालीन प्रवास कर रही है। अपने प्रवास के दौरान वे अपने संग की अन्य आर्यिकाओं के साथ मगलवार को यहां जैन विश्वभारती एवं जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में भ्रमण किया। परिसर भ्रमण के दौरान उन्होंने सबसे पहले पहली पट्टी स्थित वृद्ध साध्वियों के ठिकाने पहुंचकर उनकी कुशल-क्षेम पूछी, तत्पश्चात यहां भिक्षु विहार में मुनिश्री जयकुमार सहित अन्य संतों से मिलकर उनकी सुख-साता पूछी। इसके बाद वे जैन विश्व भारती स्थित गौतम ज्ञानशाला, सचिवालय, विमल विद्या विहार विद्यालय, विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय, कलाविथी (आर्ट गैलरी) एवं जैविभा विश्वविद्यालय के समस्त भवनों और व्यवस्थाओं का अवलोकन किया। जैन विश्व भारती संस्थान के विताधिकारी राकेश कुमार जैन, डाॅ. युवराज सिंह खंगारोत, डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज, डाॅ. रविंद्र सिंह राठौर आदि ने उनका स्वागत किया। विश्वविद्यालय में दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के निदेशक प्रो. आनंद प्रकाश त्रिपाठी ने जैन विश्वभारती संस्थान का प्रकाशन आगम-ग्रंथ गधिनी आर्यिका विभाश्री माताजी को भेंट किया। प्रो. त्रिपाठी ने जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय का परिचय देते हुए संस्थान द्वारा संचालित नियमित एवं पत्राचार पाठ्यक्रम की जानकारी दी। विभाश्री माताजी ने विश्वविद्यालय के अन्तर्गत संचालित केंद्रीय पुस्तकालय को देखकर उसकी सराहना की और कहा कि यह पुस्तकालय बहुत दुर्लभ पुस्तकालय है। इस अवसर पर प्रवीण बरडिया, डॉ. योगेश जैन एवं विजयश्री शर्मा ने जैन विश्वभारती संस्थान एवं मातृसंस्था द्वारा संचालित विविध योजनाओं एवं संस्थाओं का परिचय भी दिया।

समर्पित होकर शिक्षा ग्रहण करें

इससे पूर्व विमल विद्या विहार विद्यालय में आर्यिका विभाश्री माता ने विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जीवन बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा विद्यार्थी-जीवन होता है। शिक्षक द्वारा दी जाने वाली शिक्षा को पूर्ण निष्ठा और ईमानदारी के साथ ग्रहण करना चाहिए। विद्यार्थी जीवन एक ऐसा समय है जिसके जिससे पूरे जीवन का निर्धारण होता है। यदि हम समर्पित होकर शिक्षा ग्रहण करते हैं तो वह पूरे जीवन-काल में उपयोगी सिद्ध होती है और यदि भटक गए तो इससे पूरा जीवन परेशानियों से घिर जाता है। विद्यालय की प्राचार्या वनिता धर ने उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। कार्यक्रम का संचालन मधु जैन ने किया। इस अवसर पर जैन समाज के अध्यक्ष सुरेश कासलीवाल, उपमंत्री महेंद्र गंगवाल, बसंत सेठी, शांतिलाल पाटनी, सुभाष सेठी, रोबिन बड़जात्या, राज पाटनी, पं. राजेंद्र जैन, डाॅ. मनीषा जैन, किरणदेवी बड़जात्या, सोनम पाटनी, सुशीला कासलीवाल, सुनीता कासलीवाल आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर आर्यिका संघ का जगह-जगह स्वागत, पाद-प्रक्षालन आदि सविनय किया गया।

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