‘भाषाओं के माध्यम से एकता’ विषय पर कार्यक्रम आयोजित
लाडनूँ,12 दिसम्बर 2024। जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग में एन.सी.टी.ई. एवं यूं.जी.सी. द्वारा प्राप्त पत्रानुसार एक सप्ताह के ‘भारतीय भाषा उत्सव’ के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन ने ‘अभिव्यक्ति की वाक्पटुता: वक्तृत्व कौशल’ पर विचार रखते हुए कहा कि अभिव्यक्ति का कौशल विचारों को प्रभावी ढंग से व्यक्त करने, दूसरों को प्रेरित करने और परिवर्तन लाने की कला है। यह कौशल एक शक्तिशाली उपकरण है, जो हमें हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है। प्रभावी वक्ता अपने श्रोताओं को समझता है और उनके साथ सहानुभूति रखता है। श्रोताओं की पृष्ठभूमि, हितों और दृष्टिकोण को समझना ही प्रस्तुति को व्यक्तिगत बनाने में मदद करता है। इसलिए श्रोताओं की विशेषताओं को ध्यान में रखकर अपनी भाषा, उदाहरण और तर्क को समायोजित करना चाहिए। अपने श्रोताओं के साथ जुड़ने के लिए प्रश्न पूछे जा सकते हैं, उनके चेहरे के भाव और शरीर की भाषा पर ध्यान दे सकते हैं और उनकी प्रतिक्रियाओं को ध्यान से सुन सकते हैं। इससे उनकी रुचियों, समझ और प्रतिक्रिया को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। भाषा और समुदाय पर भी चर्चा की गयी कि भाषा और समाज का भविष्य परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। वैश्वीकरण, प्रौद्योगिकी और संचार में प्रगति ने विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं के बीच बातचीत के तरीके को बदल दिया है। क्षेत्रीय उत्सवों का भी भारत की राष्ट्रीय एकता में महत्वपूर्ण योगदान है। वे विभिन्न समुदायों के लोगों को एक साथ लाते हैं, जिससे वे अपनी संस्कृति और परंपराओं को साझा करते हैं और एक-दूसरे को बेहतर ढंग से जानते हैं। कार्यक्रम में समस्त संकाय सदस्य एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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