सामान्य और विशेष निरपेक्ष नही हैं- प्रो. सुषमा सिंघवी

10 दिवसीय विषय राष्ट्रीय कार्यशाला के छठे दिन का व्याख्यान

लाडनूँ, 24 फरवरी 2025। जैन विश्वभारती संस्थान के जैनविद्या एवं तुलनात्मक धर्म-दर्शन विभाग के तत्वावधान में चल रही 10 दिवसीय ’आचार्य सिद्धसेन दिवाकर कृत सन्मतितर्कप्रकरण’ विषय राष्ट्रीय कार्यशाला के छठे दिन जैन दर्शन की लब्धप्रतिष्ठित विदुषी, एमरेट्स प्रोफेसर प्रो. सुषमा सिंघवी जयपुर ने सम्मतितर्कप्रकरण के सामान्य-विशेष कांड पर व्याख्यान देते हुए सन्मतितर्क के तृतीयकाण्ड की करीब 15 गाथाओं का विश्लेषण किया। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि इसमें आचार्य द्वारा किए गए एकान्तवादियों के मतों के खण्डन के बारे में विस्तृत जानकारी दी और द्रव्य एवं पर्याय दृष्टि को उदाहरण सहित बताया। उन्होंने पर्याय के विभिन्न भेदों को बताते हुए पदार्थ के परिणमन के संदर्भों की व्याख्या की। प्रो. सिंघवी ने कहा कि पदार्थ में सामान्य, विशेष के बिना और विशेष, सामान्य के बिना नहीं रहते, द्रव्य परिणमनशील है। प्रारम्भ में कार्यशाला के समन्वयक प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी ने प्रो. सुषमा सिंघवी का परिचय प्रस्तुत किया तथा शॉल व मोमेन्टो भेंट कर उनका सम्मान किया। सत्र का संयोजन इर्या जैन ने किया। अंत में डॉ. सुनीता इंदोरिया ने आभार व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के प्रायोजकत्व में आयोजित इस कार्यशाला में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों से करीब 50 विशेषज्ञ, शोधकर्ता एवं विद्वत्तजन भाग ले रहे है। कार्यशाला का समापन 28 फरवरी को होगा।

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