तीर्थंकर ऋषभदेव के यागदान को लेकर व्याख्यानका आयोजन

10 दिवसीय प्राकृत कार्यशाला में लाडनूँ के जैविभा विश्वविद्यालय की समणी ने करवाया अध्यापन, परिणामों की घोषणा

लाडनूँ, 26 मार्च 2025। ‘आत्मनिर्भर भारत के परिप्रेक्ष्य में तीर्थंकर ऋषभदेव का योगदान’ विषय ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय परिसर स्थित स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज के आचार्य विद्यासागर सुधासागर जैन शोधपीठ कानपुर के तत्वावधान में प्रो. विनय कुमार पाठक कुलपति के संरक्षकत्व में तीर्थंकर ऋषभदेव के जन्म कल्याण के उपलक्ष्य में किया गया। इस कार्यक्रम के मार्गदर्शक के रूप में डॉ. आशीष जैन आचार्य एवं लाडनूं के जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय की डॉ. समणी संगीत प्रज्ञा ही। इस व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्रसिद्ध प्रो. नरेन्द्र जैन ने की। मुख्य वक्ता काशी हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी प्रो. प्रद्युम्न शाह सिंह थे। अध्यक्षता करते हुए प्रो. नरेन्द्र कुमार जैन ने तीर्थंकर ऋषभदेव एवं आत्मनिर्भर भारत को रेखांकित करते हुए कहा गया कि भगवान ऋषभदेव द्वारा प्रणीत संस्कृति को श्रमण संस्कृति कहा गया है। उनका व्यक्तित्व लोकोपकारी, सार्वग्राही और सम्प्रदाय निरपेक्ष था। सभी सम्प्रदायों में उनके महनीय व्यक्तित्व का मूल्यांकलन किया गया है। मुख्य वक्ता प्रद्युम्न शाह ने बताया कि समाज को आत्म निर्भर, स्वाभिमान और स्वावलंबन की प्रेरणा जगाने में तीर्थंकर ऋषभदेव का अतुलनीय योगदान है। तीर्थंकर ऋषभदेव ने मानव को स्वावलंबी होना सिखाया। अयोध्या के राजा ऋषभदेव ने लोगों को खेती करना और अन्न उपजाना सिखाया। उन्होंने षट्कर्म की शिक्षा दी, जिनमें असि, मसि, कृषि, विद्या, वाणिज्य और शिल्प थे। इन षट्कर्मों के माध्यम से मनुष्य को स्वावलंबी बनाया गया। तीर्थंकर राजा ऋषभदेव राज व्यवस्था के प्रथम उन्नायक थे।

10 दिवसीय प्राकृत कार्यशाला के परिणाम घोषित

इस अवसर पर जैन शोधपीठ द्वारा संचालित दस दिवसीय प्राकृत कार्यशाला का परीक्षा परिणाम शोध न्यास मंडल के प्रमुख सदस्य अरविन्द्र जैन ने घोषित किया और प्रथम, द्वितीय, तृतीय व सांत्वना स्थान प्राप्त अनीता दीदी, रश्मि जैन कटनी, आदिनाथ उपाध्ये, शिखा जैन एवं हर्षित मुनिराज के लिए शुभकामनाएं प्रदान की। दस दिवसीय कार्यशाला के अंतर्गत लाडनूं के जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय की समणी संगीत प्रज्ञा, समता दीदी. डॉ. आशीष जैन, डॉ. पंकज जैन, पुलक जैन डॉ. कोमल चन्द्र जैन ने प्राकृत भाषा का अध्यापनन कराया। इस अवसर पर प्रदीप जैन तिजारा वाले, सुधीन्द्र जैन, महेन्द्र जैन कटारिया, विनीत जैन त्रिभुवन जैन, डॉ. वीरचन्द्र जैन, डॉ. सुनील जैन संचय, नीलम जैन कानपुर, रेनु जैन, कृष्ण तिवारी, नीतू यादव आदि प्रमुख रूप से शामिल रहे।

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