छात्राध्यापिकाओं की फेयरवेल्स पार्टी ‘शुभ भावना 2025’ का आयोजन

प्रमाद छोड़ परिश्रमी बनो, तो सफलता निश्चित है- प्रो. त्रिपाठी

मिस फेयरवेल ज्योति, मिस ब्राइट निशा और मिस ग्लोरियस निकिता बनी और बेहतरीन प्रस्तुति के लिए चुनी गई आंचल

लाडनूँ, 11 अप्रेल 2025। जैन विश्वभारती संस्थान के आचार्य महाश्रमण आॅडिटोरियम में शिक्षा विभाग की ओर से अंतिम वर्ष की छात्राध्यापिकाओं के लिए ‘शुभ-भावना 2025’ के रूप में फेयरवेल्स पार्टी का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी थे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. रेखा तिवाड़ी व प्रो. जिनेन्द्र जैन थे। समारोह में, छात्राओं ने अपने भविष्य की योजनाओं के बारे में भी चर्चा की और एक दूसरे को शुभकामनाएं दीं। कार्यक्रम में विभाग की छात्राओं ने अपनी अद्भुत प्रस्तुतियां दीं, जिसमें नृत्य, गायन और वादन आदि संबंधित सभी कार्यक्रम शामिल थे। इनमें विद्यार्थियों ने अपनी भावनाएं व्यक्त कीं और विद्यालय के अपने अनुभवों को साझा किया।

मिस फेयरवेल ज्योति, मिस ब्राइट निशा और मिस ग्लोरियस निकिता बनी

कार्यक्रम में ‘मिस फेयरवेल’ का खिताब ज्योति फुलवारिया को, ‘मिस ब्राइट’ का खिताब निशा स्वामी को और ‘मिस ग्लोरियस’ का खिताब निकिता को प्रदान किया गया। इनके अलावा छात्राओं के मध्य हुई खेल प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रस्तुति का पुरस्कार आंचल जावा को दिया गया। कार्यक्रम में छात्राध्यापिकाओं ने अपने अध्ययन की अवधि के स्मरणी पलों की पीपीटी तैयार करके प्रदर्शित की। छात्राध्यापिका पूनम पंवार ने अपने अनुभवों और भावों को अभिव्यक्त किया। आंचल जावा ने सभी शिक्षकों के साथ बीते पलों के आधार पर काव्योक्तियों की प्रस्तुति दी। छात्राओं ने सामृहिक नृत्य, एकल नृत्य, कविता, गीत व अन्य भावाभिव्यक्ति के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए।

पुरूषार्थी को करती है दुनिया याद

कार्यक्रम में अपने सम्बोधन में प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि दुनिया में केवल पुरूषार्थी को ही याद किया जाता है। पत्थर पर लकीर खींचने की तरह प्रतिकूल परिस्थितियों में भी कुछ करके दिखाना आवश्यक होता है। प्रमाद करने वाला नहीं बन कर परिश्रमी बनने पर ही लक्ष्य की प्राप्ति संभव है। इसलिए चाहे धीमा ही चलो, पर सतत चलने पर सफलता अवश्य मिलती है। प्रो. बीएल जैन ने जीवन में सुख-दुःख की अनुभूति के बावजूद कभी हार नहीं मान कर अपने प्रयास जारी रखते हुए सफलता प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा किशुआती असफलताओं के बावजूद प्रयास जारी रखने पर सफलता अवश्य मिलती है। उन्होंने भारतीय नैतिक मूल्यों, परम्पराओं व संस्कृति के साथ जीवन में अच्छी बातें ग्रहण करने पर बल दिया और ऊंचाइयों को छूने व निरन्तर आगे बढते रहने के लिए प्रेरित किया।

श्रमेव जयते को जीवन में उतारो

राजस्थानी भाषा एवं साहित्य विकास केन्द्र के अध्यक्ष प्रो. लक्ष्मीकांत व्यास ने छात्राध्यापिकाओं से ‘श्रम एव जयते’ को जीवन का घोष वाक्य बनाने और जीवन में श्रम को महत्व देने की अपील की। उन्होंने प्रमाद, आलस्य, खुशी, आनन्द के क्षणों का त्याग करके श्रम करते हुए सफलता को प्राप्त करने के लिए उत्साह भरा। प्रो. जिनैन्द्र जैन ने संस्थान से अध्ययन के दौरान सीखे हुए सबक जीवन भर याद रखने और उनसे लोगों को लाभान्वित करने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का प्रारम्भ ललिता जांगिड़ ने गणेश वंदना के साथ नृत्य प्रस्तुत करके किया। कार्यक्रम की संयोजना में विभाग की छात्राओं भूमिका, ज्योति, मोनिका, रश्मि, आयुश्री, कोमल, हर्षिता सोनी, चंचल और मिताली, कुसुम, अनिशा, सिमरन आदि ने अपनी भूमिका अदा की। कार्यक्रम की सूत्रधार विभाग के सहायक आचार्य खुशाल जांगिड़ और स्नेहा शर्मा रहे। कार्यक्रम में विभाग के सभी सहायक आचार्य, आचार्याएं और सभी छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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