जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय का 13वां दीक्षांत समारोह आयोजित
शिक्षा का उपयोग अपने जीवन, समाज और राष्ट्र में ज्ञान का आलोक फैलाने में करें- राज्यपाल
जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय का 13वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न, 4543 विद्यार्थियों को दी गई डिग्रियां, 17 साधु-साध्वियों ने भी ली पीएचडी की डिग्रियां
लाडनूँ, 12 नवम्बर 2022। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि शिक्षा के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा है कि देश के संसाधनों का बेहतर उपयोग शिक्षा के द्वारा ही संभव है। शिक्षा का उपयेाग सम्पूर्ण मानवता के लिए होना चाहिए। ज्ञान का उपयेाग अपने जीवन को रोशन करने के साथ ही समाज व राष्ट्र के उत्थान के लिए भी होना चाहिए। वे यहां सुधर्मा सभा में जैन विश्वभारती संस्थान विश्वविद्यालय के 13वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दीक्षंात से शिक्षा का अंत नहीं हो जाता, बल्कि यह शुरूआत है, जिसमें प्राप्त शिक्षा का उपयोग भावी जीवन, समाज और राष्ट्र के लिए ज्ञान का आलोक फैलाने के लिए कर सकते हैं। स्वस्थ लोकतंत्र का आधार शिक्षा ही होता है। शिक्षा पूर्ण होने के बावजूद भी सीखने की कोई सीमा नहीं होती। उन्होंने जैविभा विश्वविद्यालय के ध्येय वाक्य ‘णाणं सार मायारो’ यानि ज्ञान का सार आचार है, को उद्धृत करते हुए कहा कि यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। हमें गुणवतापूर्ण शिक्षा की ओर ध्यान देना चाहिए। सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों को इस ओर ध्यान देना चाहिए। विश्वविद्यालयी शिक्षा के साथ उसे अधुनातन ज्ञान के साथ अपडेट भी किया जाना जरूरी होता है। उन्होंने जैन विश्वभारती संस्थान की सराहना करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय महान केन्द्र बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने विश्वविद्यालय को मिली ग्रेड आदि के बारे मे ंभी बताया। आचार्य तुलसी की महान सोच की प्रशंसा करते हुए उन्होंने बताया कि उनमें आगे की दृष्टि और भविष्य की सोच थी। यहां आकर सकारात्मक ऊर्जा की अनुभूति होती है।
पुस्तकें जीवन की दिशा बदल सकती है
राज्यपाल ने कहा कि पुस्तकें बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। पुस्तकें जीवन को दिशा प्रदान कर सकती हैं। ज्ञान ओर विवेक छिपे हुए होते हैं, लेकिन पुस्तके पढने पर उनके बीज उगने लगते हैं। ज्ञान और विवेक को नष्ट करने के लिए उनके माध्यमों पर हमला किया जाता है। जर्मनी में हिटलर ने विश्वविद्यालयों के विशाल पुस्तकालयों की पुस्तकों को जलवा दिया था। लेकिन लोेगों में जागृति के कारण वहां उस दिन को आज पुस्तकें पढने के दिन के रूप में मनाते हैं और उस दिन सभी लोग हर कहीं पुस्तकें पढते हैं। भारत में भी हमलावर बख्तियार खिलजी ने अपनी कुंठाएं और नालंदा विश्वविद्यालय में आग लगा दी। पूरे तीन महिनों तक पुस्तकें जलती रही थी। किताबों का पढना सदैव व्यक्ति को उर्वर बनाता है और किताबें कल्पनाशीलता व तर्कशीलता को बढाती है। उन्होंने कहा कि सृजनात्मक शिक्षा के लिए जरूरी है कि पाठ्यपुस्तकों के साथ व्यक्तित्व विकास व निखार के लिए उपयेागी पुस्तकों को भी पढा जाए। उन्होंने बताया कि नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला आदि इस देश में उच्च शिक्षा का प्रतिनिधित्व करते थे।
ज्ञान के साथ संस्कारों का भी विकास आवश्यक
विश्वविद्यालय के अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण ने इस अवसरपर सभी दीक्षार्थियों को ‘शिखा पदं’ का उच्चारण करवाया और कहा कि ज्ञान के साथ संस्कार बहुत जश्ररी होते हैं। इसी से जीवन उपयोगी बनता है। विद्या का आभूषण विनय को बताया गया है। मनुष्य जैसे अपने शरीर को आभूषणों से सजाता है, वैसे ही विद्या के साथ विनय हाने पर वह शोभित होती है। ज्ञान के साथ संस्कारों का विकास भी होना चाहिए। विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करके सेवा करे और धरती को स्वर्ग बनाने का प्रयास करें। हमेशा जीवन में अपने ज्ञान को और आगे बढाने का प्रयत्न करते रहना चाहिए। आचार-विचार पुष्ट होने से ही आध्यात्मिक विकास होता है। कुलाधिपति केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेेघवाल ने संविधान की प्रस्तावना का उल्लेख करते हुए कहा कि अधिकार जानते हो तो कर्तव्य भी जानने जरूरी है। शिक्षा इसी पर आधारित होनी चाहिए, जिसमें कर्तव्यों का भी भान हो। उन्होंने आचार्य तुलसी के अणव्रतोें को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि अणुबम की तुलना में वे अधिक प्रभावी काम करते हैं। अणुबम विश्व का विनाश कर सकते हैं और अणुव्रत विश्व को नवीन स्वरूप दे सकते हैं। इस अवसर पर उन्होंने आचार्य तुलसी द्वारा लिखित अणुव्रत गीत ‘संयममय जीवन हो’ का गान भी किया।
कुल 4543 विद्यार्थियों को दी गई डिग्रियां
कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने संस्थान का परिचय प्रस्तुत किया और 20 मार्च 1991 में स्थापना से लेकर आज तक की प्रति का विवरण भी संक्षेप मेें प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि यूजीसी से 12बी मिलने, नैक से ए-ग्रेड मान्यता मिलने, तीनक्षेत्रों में आईएसओ सर्टिफिकेट मिलने, डीआरडीओ द्वारा कोविड महामारी से बचने के लिए तेयारदवा के निर्माण में इस संस्थान के एमिरेट प्रोफेसर विनय जैन की भूमिका, पूर्व कुलपति प्रो. रामजी सिंह को राष्ट्रपति पुरस्कार मिलने और अन्य कई शिक्षकों को राष्टपति सम्मान, योग के छात्रों द्वारा 7 विश्व रिकॉर्ड कायम किए जाने, यूजीसी द्वारा डुआल मोड में परीक्षण करवाने वाला देश का पहला ए-ग्रेड विश्वविद्यालय होने आदि उपलब्धियों के बारे में उन्होंने जानकारी दी। समारोह में कुल 4543 विद्यार्थियों को डिग्रियां वितरित की गई। इनमें से 69 शोधार्थियों को पीएचडी प्रदान की इर्ग, जिनमें मुख्य मुनि महावीर कुमार, मुनिश्री विश्रुत कुमार सहित कुल 17 साधु-साध्वियां व समणियां सम्मिलित हैं। अन्य उपाधियां पाने वालों में विभिन्न विभागों के स्नातकोत्तर, स्नातक, एमएड, बीएड, बीए-बीएड, बीएससी-बीएड के विद्यार्थी शामिल हैं। गोल्ड मैडल और विशेष योग्यता प्रमाण पत्र कुल 34 विद्यार्थियों को प्रदान किए गए। दीक्षांत समारोह के प्रारम्भ में मुमुक्षु बहिनों ने कुलगीत के रूप में मंगलाचरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन कुलसचिव रमेश कुमार मेहता ने किया।
Latest from
- विद्यार्थियों को दी गई फिट इंडिया मोबाइल ऐप के बारे में जानकारी
- फिट इंडिया सप्ताह के तहत योग एवं प्रेक्षाध्यान का करवाया अभ्यास
- चेतनापूर्ण जीवन शैली ही मानसिक स्वास्थ्य की कुंजी- डॉ. भोजक
- ‘हम सभी के लिए मानव अधिकार’ थीम पर कार्यक्रम आयोजित
- ‘भाषाओं के माध्यम से एकता’ विषय पर कार्यक्रम आयोजित
- राष्ट्रीय भारतीय भाषा उत्सव पर कार्यक्रम आयोजित
- फिट रहने के लिए विभिन्न सुझाव एवं विचारों पर मंथन
- स्थानीय खेल में विद्यार्थियों ने लिया उत्साह पूर्वक भाग
- राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित विश्व अल्पसंख्यक दिवस समारोह में जैविभा विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि हुए सम्मिलित
- निबंध लेखन तथा समुह- चर्चा कार्यक्रम का आयोजन
- राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों ने ली स्वच्छता रखने की शपथ
- संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग में मानवाधिकार दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
- आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में भारतीय भाषा उत्सव पर कार्यक्रम आयोजित
- दुःसाहसी पर्वतारोही-बाइकर नीतू चौपड़ा ने छात्राओं को सिखाए आत्मरक्षा के गुर
- प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बोस की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित
- जनजातीय गौरव दिवस तथा जनजातीय गौरव वर्ष पर कार्यक्रम आयोजित
- जैविभा विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रो. लोढा को मिला लाईफटाईम अचीवमेट अवार्ड
- अब शिक्षा क्षेत्र में डिजीटलाइज भविष्य के लिए हो सकेंगे विद्यार्थी तैयार
- अहिंसा एवं शांति विभाग में मनाया गया संविधान दिवस
- एनएसएस के शिविर में राष्ट्रीय एकता एवं साम्प्रदायिक सद्भाव पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित
- जैन विश्वभारती संस्थान एवं राज्य सरकार के आयुष विभाग के साथ हुआ एमओयू
- जैन विश्वभारती संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग द्वारा विश्व दार्शनिक दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
- जैविभा विश्वविद्यालय में भव्य कवि सम्मेलन आयोजित
- राष्ट्रीय स्तरीय सात दिवसीय जैन स्काॅलर कार्यशाला आयोजित
- 15वां दीक्षांत समारोह अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में गुजरात के सूरत में आयोजित
- सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में छात्राओं ने सजाई आकर्षक रंगोलियां
- तीन दिवसीय ‘यह दिवाली, माय भारत वाली’ कार्यक्रम आयोजित
- राष्ट्रीय एकता व दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया
- पुरखों व संस्कारों के प्रति आस्था होने पर ही व्यक्ति की सम्पूर्णता- ओंकार सिंह लखावत
- दीपावली पर तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित
- मेहंदी प्रतियोगिताओं में 28 छात्राओं ने हाथों पर सजाई नई-नई डिजाइनें
- एनएसएस की स्वयंसेविकाओं ने विश्वविद्यालय में सफाई अभियान चलाया
- जैन विश्व भारती संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग की सहायक आचार्य डॉ.लिपि जैन को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
- संस्थान में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वाधान में प्रथम एकदिवसीय शिविर का आयोजन
- अनुपयोगी सामग्री के उपयोग से सजावटी व उपयोगी वस्तुओं का निर्माण
- आईपीएसएस द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में महिला सशक्तिकरण मुद्दा छाया रहा
- केन्द्रीय उच्च शिक्षा मंत्री ने जैविभा संस्थान की प्राच्य विद्याओं व मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की
- छात्राध्यापिकओं ने गरबा महोत्सव आयोजित
- विश्व दृष्टि दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
- अहिंसा एवं शांति विभाग के विद्यार्थियों ने किया शैक्षणिक भ्रमण
- शिक्षा विभाग में नवागन्तुक छात्राध्यापिकाओं के स्वागत के लिए ‘सृजन 2024’ का आयोजन
- आगमों एवं प्राचीन अभिलेखों में मौजूद हैं भारतीय संस्कृति के समस्त मूल तत्व- डाॅ. समणी संगीतप्रज्ञा
- ‘उत्तम स्वास्थ्य एवं आध्यात्मिक अनुकूलता’ विषय पर व्याख्यान
- विश्व शिक्षक दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
- रक्तदाता स्वयंसेविकाओं व छात्राओं को प्रमाण पत्र देकर किया सम्मानित
- एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने लगाए पंछियों के लिए परिंडे, चुग्गा-पात्र व घोंसले
- लाडनूँ से 52 छात्राध्यापिकाओं के दल ने गुजरात व माउंट आबू का किया पांच दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण
- प्राकृत भाषा और साहित्य के विकास में जैनाचार्यों और मनीषियों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा- डाॅ. रविन्द्र कुमार खाण्डवाला
- राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर किया गया आयोजन
- महात्मा गांधी जयंती पर एक कार्यक्रम का आयोजन