विश्व दार्शनिक दिवस पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजित
सतत् चलना, खोजना, जानना, सीखना सिखाती है भारतीय संस्कृति- प्रो. दीक्षित
लाडनूँ, 27 जनवरी 2024। भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (आईसीपीआर) के प्रायोजन में भारतीय संस्कृति में निहित मूल्यों के संवर्धन व प्रचार-प्रसार में सहायक कार्यक्रम का आयोजन यहां जैन विश्वभारती संस्थान के महाप्रज्ञ ऑडिटोरियम में किया गया। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अहिंसा एवं शांति विभाग के ततत्वावधान में विश्व दार्शनिक दिवस के अवसर पर आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित थे और मुख्य वक्ता राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर के दर्शन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अरविन्द विक्रम सिंह थे। जैविभा के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ की अध्यक्षता में आयोजित इस राष्ट्रीय सेमिनार में वक्ताओं ने ‘भारतीय संस्कृति में सन्निहित बुनियादी मूल्य और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण में उनकी प्रासंगिकता’ पर अपने विचार व्यक्त किए।
कर्त्तव्य-पालन है सबसे महत्वपूर्ण
मुख्य अतिथि प्रो. मोहन दीक्षित ने सेमिनार को सम्बोधित करते हुए बताया कि भारतीय संस्कृति ‘चरैवेति चरैवेति’की है, जिसमें सतत चलते रहने की महता है। चलने को जीवन की प्रवृति और नियति तक माना जाता है। जिस प्रकार सूर्य और पृथ्वी आदि सतत चलते रहते हैं, वैसे ही व्यक्ति को अपने जीवन में लगातार चलने की प्रवृति रखनी चाहिए। उन्होंने खोजना, जानना और सीखना को भारतीय संस्कृति और दर्शन की विशिष्टता बताते हुए जीवन में इनकी उपयोगिता पर प्रकाश डाला और बताया कि भारत में सबके लिए अपने धर्म यानि अपने कर्तव्यों के पालन को आवश्यक माना गया है। भारत ने दुनिया को त्याग और संतोष का माग्र दिखाया। उन्होंने भारत के शिक्षा के इतिहास के बारे में बताया कि यहां 1824 में 7 लाख गुरूकुल मौजूद थे, लेकिन मैकाले ने षड्यंत्र पूर्वक गुरूकुलों को मिटाया, ताकि भारतीय संस्कृति को हीनता की संस्कृति बनाया जा सके। उन्होंने सेमिनार में उपस्थित विद्यार्थियों को जीवन के लिए आवश्यक मंत्र देते हुए कहा कि ‘पढिए और लिखिए’ यानि कि प्रतिदिन 10 पृष्ठ पढने और 1 पृष्ठ लिखने की आदत डाल लेनी चाहिए। यह आसान सा काम जीवन को बदलने में समर्थ है।
बदलाव के समय मं जीवन मूल्यों का संरक्षण आवश्यक
सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए जैन विश्वभारती संस्थान के कुलपति प्रोत्र बच्छराज दूगड़ ने समय के साथ बदलते जीवन मूल्यों के बारे में बताया कि पहले परिवारों में मुखिया के आदेश का अनुसरण करने की प्रवति होती थी। बाद में बदलाव आया और परस्पर विचार-विमर्श के मूल्य सामने आए। इसक बाद वाद-विवाद ने जगह ले ली और परिणामतः परिवारों में झगड़े शुरू हो गए। लेकिन अब तो स्थिति पूरी ही उलट चुकी है। अब तो नकारने की स्थिति बन चुकी है। बड़ों की बातों को नकारने की हालत मूल्यों की अवनति है। हम जो कुछ भी देते हैं, लौट कर वही हमारे पास वापस आता है। इसलिए अपने को सुधारना और जीवन मूल्यों के बदलते इस काल में अपने आपको संभाल कर रखने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि भारतीय संस्कृति के कण-कण में मूल्य रचे-बसे हैं।
भ्रातृत्व भाव से ही संभव है राष्ट्र का विकास
मुख्य वक्ता प्रो. अरविन्द विक्रम सिंह ने अपने सम्बोधन में भारत को अध्यात्म की भूमि बताते हुए कहा कि यहां परस्पर बातचीत के दौरान भी हमारी संस्कृति और सांस्कृतिक मूल्यों की झलक दिखाई देती है। उन्होंने बदलते भारती की तस्वीर प्रस्तुत करते हुए 2040 में विकसित भारत के स्वप्न को पूरा करने के लिए भारतीय सांस्कृति-आध्यात्मिक मूल्यों को अपनाने की आवश्यकता बताई। उन्होंने बताया कि हमारी सनातन संस्कृति में वैश्विक दृष्टि निहित है। राष्ट्र की मूल इकाई व्यक्ति होता है, उसे चरित्रवान, करूणामयी, मैत्रीपूर्ण आदि भावनाओं से संयुक्त बनाना और भ्रातृत्व भाव को पनपाने से ही राष्ट्र का विकास संभव है। प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जिनेन्द्र कुमार जैन ने सर्वांगीण विकास में मूल्यों के महत्व पर प्रकाश डाला और जीवन निर्माण व राष्ट्र निर्माण में मूल्यों की प्रासंगिकता बताई। प्रारम्भ में कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. लिपि जैन ने सेमिनार की विषयवस्तु प्रकाश डाला। अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष डा. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए अतिथियों का परिचय दिया। कार्यक्रम का प्रारम्भ सिमरन एंड ग्रुप द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से किया गया। सभी अतिथियों का सम्मान पुष्पगुच्छ, शॉल व साहित्य भेंट करके किया गया। कार्यक्रम में संस्थान के समस्त संकाय सदस्य, शोधार्थी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे।
Latest from
- दुःसाहसी पर्वतारोही-बाइकर नीतू चौपड़ा ने छात्राओं को सिखाए आत्मरक्षा के गुर
- प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चन्द्र बोस की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित
- जनजातीय गौरव दिवस तथा जनजातीय गौरव वर्ष पर कार्यक्रम आयोजित
- जैविभा विश्वविद्यालय के कुलपति रहे प्रो. लोढा को मिला लाईफटाईम अचीवमेट अवार्ड
- अब शिक्षा क्षेत्र में डिजीटलाइज भविष्य के लिए हो सकेंगे विद्यार्थी तैयार
- अहिंसा एवं शांति विभाग में मनाया गया संविधान दिवस
- एनएसएस के शिविर में राष्ट्रीय एकता एवं साम्प्रदायिक सद्भाव पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित
- जैन विश्वभारती संस्थान एवं राज्य सरकार के आयुष विभाग के साथ हुआ एमओयू
- जैन विश्वभारती संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग द्वारा विश्व दार्शनिक दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
- जैविभा विश्वविद्यालय में भव्य कवि सम्मेलन आयोजित
- राष्ट्रीय स्तरीय सात दिवसीय जैन स्काॅलर कार्यशाला आयोजित
- 15वां दीक्षांत समारोह अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण के सान्निध्य में गुजरात के सूरत में आयोजित
- सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में छात्राओं ने सजाई आकर्षक रंगोलियां
- तीन दिवसीय ‘यह दिवाली, माय भारत वाली’ कार्यक्रम आयोजित
- राष्ट्रीय एकता व दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया
- पुरखों व संस्कारों के प्रति आस्था होने पर ही व्यक्ति की सम्पूर्णता- ओंकार सिंह लखावत
- दीपावली पर तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित
- मेहंदी प्रतियोगिताओं में 28 छात्राओं ने हाथों पर सजाई नई-नई डिजाइनें
- एनएसएस की स्वयंसेविकाओं ने विश्वविद्यालय में सफाई अभियान चलाया
- जैन विश्व भारती संस्थान के अहिंसा एवं शांति विभाग की सहायक आचार्य डॉ.लिपि जैन को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
- संस्थान में संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना की दोनों इकाइयों के संयुक्त तत्वाधान में प्रथम एकदिवसीय शिविर का आयोजन
- अनुपयोगी सामग्री के उपयोग से सजावटी व उपयोगी वस्तुओं का निर्माण
- आईपीएसएस द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में महिला सशक्तिकरण मुद्दा छाया रहा
- केन्द्रीय उच्च शिक्षा मंत्री ने जैविभा संस्थान की प्राच्य विद्याओं व मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता की सराहना की
- छात्राध्यापिकओं ने गरबा महोत्सव आयोजित
- विश्व दृष्टि दिवस पर कार्यक्रम आयोजित
- अहिंसा एवं शांति विभाग के विद्यार्थियों ने किया शैक्षणिक भ्रमण
- शिक्षा विभाग में नवागन्तुक छात्राध्यापिकाओं के स्वागत के लिए ‘सृजन 2024’ का आयोजन
- आगमों एवं प्राचीन अभिलेखों में मौजूद हैं भारतीय संस्कृति के समस्त मूल तत्व- डाॅ. समणी संगीतप्रज्ञा
- ‘उत्तम स्वास्थ्य एवं आध्यात्मिक अनुकूलता’ विषय पर व्याख्यान
- विश्व शिक्षक दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन
- रक्तदाता स्वयंसेविकाओं व छात्राओं को प्रमाण पत्र देकर किया सम्मानित
- एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने लगाए पंछियों के लिए परिंडे, चुग्गा-पात्र व घोंसले
- लाडनूँ से 52 छात्राध्यापिकाओं के दल ने गुजरात व माउंट आबू का किया पांच दिवसीय शैक्षणिक भ्रमण
- प्राकृत भाषा और साहित्य के विकास में जैनाचार्यों और मनीषियों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा- डाॅ. रविन्द्र कुमार खाण्डवाला
- राष्ट्रीय स्वैच्छिक रक्तदान दिवस पर किया गया आयोजन
- महात्मा गांधी जयंती पर एक कार्यक्रम का आयोजन
- नैतिकता की उड़ान के लिए प्रेक्षाध्यान-जीवन विज्ञान की आवश्यकता- प्रो. त्रिपाठी
- योग एवं जीवन विज्ञान विभाग में नव आगंतुक विद्यार्थियों का स्वागत समारोह आयोजित
- स्वच्छता पखवाड़े के तहत एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने किया श्रमदान
- जिला कलेक्टर पुखराज सैन ने लाडनूं में मुनिश्री जयकुमार के दर्शन किए और आध्यात्मिक चर्चा की
- ‘क्रोध नियंत्रण एवं संयमित आचरण’ के लिए विद्यार्थियों को किया प्रेरित'
- खानपुर में भियाणी में निकाली गई स्वच्छता जागरूकता रैली
- लाडनूँ की छात्राओं ने लिया भारतीय युवा संसद में हिस्सा,
- ‘स्वच्छता ही सेवा’ के तहत छात्राध्यापिकाओं द्वारा आयोजित किया गया कार्यक्रम
- कस्तूरबा गांधी अल्पसंख्यक आवासीय विद्यालय में श्रमदान व पौधारोपण किया
- जैविभा विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस मनाया
- छात्राध्यापिकाओं ने ‘पर्यावरण क्लब’ द्वारा बताया स्वच्छता का महत्व
- एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने स्वच्छता जागरूकता रैली निकाली और कचरा व नाकारा सामान से बनाए आकर्षक उपयोगी आइटम्स
- मेधावी छात्रा मीनाक्षी भंसाली को परीक्षा परिणाम के आधार पर राजस्थान सरकार से मिला टैबलेट