वसंत पंचमी पर गीत-संगीत की सुमधुर प्रस्तुतियों से रिझाया मां शारदे को

लाडनूँ, 14 फरवरी 2024। जैन विश्वभारती संस्थान के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय एवं शिक्षा विभाग की छात्राओं द्वारा मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस वसंत पंचमी को मां वीणापाणि की वंदना के साथ बसंतोत्सव के रूप में मनाया गया। मां सरस्वती प्रतिमा को ताजा पुष्पों के पुष्पाहार से कार्यक्रम की शुरुआत की गई। कार्यक्रम में विभिन्न छात्रा समूहों द्वारा भिन्न-भिन्न प्रकार की सरस्वती वंदनाओं की प्रस्तुतियां देकर मां शारदा के गुणों को मुखरित किया गया। इन छात्रा समुहों में कान्ता सोनी एवं समुह द्वारा ‘या कुंदेन्न दुतुषार हार धवला’ वहीं मीनाक्षी भंसाली एवं समूह द्वारा ‘हे शारदे मां हमें तार दे मां’ शीर्षक से स्तुति की गई। छात्रा ट्विंकल भंसाली एवं समूह द्वारा भी ‘हे स्वर की देवी मां’ के रूप में आराधना की गई तो वहीं खुशबू सोनी एवं समूह द्वारा ‘वंदना में सुनाऊं मां शारदे की’ स्तुति कर माहौल को पूर्णतः भक्तिपूरित कर दिया गया। कार्यक्रम में सुनीता काजला ने ‘बसंत की आत्मा’ व हेमपुष्पा चौधरी ने ‘बसन्त’ शीर्षक से कविताएं प्रस्तत की। इस अवसर पर पुलवामा के शहीदों के लिए भी एक देशभक्ति गीत प्रस्तुत करके उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

धरती की गोद को पुष्पों से सजाता है वसंत

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रो. रेखा तिवाड़ी ने वसंत पंचमी को नवीन उर्जा का दिन बताया तथा जीवन में बसंत पंचमी के अवसर पर कुछ नया एवं बेहतर करते हुए इसे प्रेरक दिवस के रूप में मानने के लिए प्रेरित किया। अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो. आनंदप्रकाश त्रिपाठी की षड़ऋतुओं में ऋतुराज की संज्ञा देते हुए बसंत ऋतु को सबसे उत्तम एवं मनोहारी ऋतु बताया। उन्होंने इस ऋतु में होने वाले सुखद मौसम परिवर्तनों के बारे में बताते हुए प्रकृति की गोद को पुष्पों से पुरित सजाने वाला समय बताया। कार्यक्रम में डॉ. प्रगति भटनागर, मधुकर दाधीच, श्वेता खटेड़, प्रेयस सोनी, देशना चारण, घासीलाल शर्मा आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन अभिषेक चारण ने किया। अंत में अनूप कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इसी प्रकार शिक्षा विभाग में आयोजित बसंत पंचमी कार्यक्रम में सरस्वती पूजन किया गया और विभागाध्यक्ष बी. एल. जैन तथा शिक्षकों, छात्राओं ने त्योहार की महत्ता समझाते हुए जीवन मे शिक्षा की गुणवत्ता तथा आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

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