वाणी संयम के साथ मितभाषिता भी सफल जीवन के लिए जरूरी- प्रो. त्रिपाठी

पयुर्षण पर्व के तहत ‘वाणी संयम’ दिवस मनाया

लाडनूँ, 04 सितम्बर 2024। जैन विश्वभारती संस्थान में चल रहे पर्युषण पर्व के अंतर्गत आयोजित विभिन्न गतिविधियों में चैथे दिन ‘वाणी संयम’ विषय पर कार्यक्रम रखा गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता प्रो. आनंदप्रकाश त्रिपाठी ने ‘वाणी संयम’ को एक सफल जीवन का आधार बताया एवं कहा कि जो व्यक्ति वाणी का संयम रखना है, वह न तो तनावग्रस्त रहता है और न ही उसके सामने समस्याएं अधिक आती है। उन्होंने व्यक्ति को वाणी संयम के साथ-साथ मितभाषी होने की जरूरत बताते हुए कहा कि मितभाषी व्यक्ति कम बोलता है, जिसके कारण उसकी अनेक समस्याएं स्वतः ही हल हो जाती हैं। प्राकृत एवं संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. जिनेंद्र कुमार जैन ने बताया कि जैन धर्म में अनेक पर्व एवं अनुष्ठान आयोजित होते हैं, जिनमें पर्युषण पर्व काफी महत्वपूर्ण है। पर्यूषण पर्व का संबंध केवल जैन धर्म से ही नहीं, अपितु सृष्टि के जन-जन से है जिसमें शांति, संयम, सदाचरण, समन्वय, सहिष्णुता आदि महत्वपूर्ण आदर्श अभिव्यक्त हैं। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को जीवन में सदैव वाणी का संयम बनाए रखना चाहिए। इससे उसे सम्मान मिलेगा और दूसरों का सम्मान भी हो सकेगा। योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने अंत में आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बी.एल. जैन ने किया। कार्यक्रम में डॉ. रविंद्र सिंह राठौड़, डॉ. लिपि जैन, डॉ. बलबीर सिंह, डॉ. अशोक भास्कर, डॉ. हेमलता जोशी आदि संकाय सदस्यों के साथ संस्थान के विद्यार्थी व 70 प्रतिभागी रहे।

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