संस्थान के योग एवं जीवन विज्ञान विभाग तथा इंटरनेशनल स्कूल फोर जैन स्टडीज के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय योग एवं मेडिटेशन स्टडीज विषयक पर अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
चेतना के उच्च स्तर पर पहुंचाने का मार्ग है प्रेक्षाध्यान- मुनिश्री जयकुमार
लाडनूँ, 19 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के योग एवं जीवन विज्ञान विभाग तथा इंटरनेशनल स्कूल फोर जैन स्टडीज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय योग एवं मेडिटेशन स्टडीज विषयक अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला में अमेरिका से आये विद्यार्थियों को मुनिश्री जयकुमार ने आत्मा व शरीर के पृथक अस्तित्व, चेतना के उध्र्वारोहण, मोक्ष एवं प्रेक्षाध्यान के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि प्रेक्षाध्यान से व्यक्ति शरीर और आत्मा की सता को अलग-अलग अनुभव कर पाने में सक्षम हो सकता है। प्रेक्षाध्यान से चेतना के उच्च स्तर तक पहुंचा जा सकता है। उन्होंने जैन मान्यता के अनुसार मोक्ष और मोक्ष प्राप्ति के उपाय के बारे में भी बताया। मुनि जयकुमार ने अमेरिकन विद्यार्थियों की शंकाओं का समाधान भी किया। समणी विनयप्रज्ञा ने इन विद्यार्थियों ने प्रेक्षाध्यान की साधना विधि के बारे में बताया तथा कार्यशाला के सभी संभागियों को प्रेक्षाध्यान का अभ्यास करवाया। इससे पूर्व योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने संभागियों को बताया कि प्रेक्षाध्यान साधना की सरलतम विधि है, जिसके परिणाम वैज्ञानिक कसौटी पर खरे उतरे हैं। उन्होंने आसन व ध्यान के प्रयेाग करवाये तथा अमेरिका से आये इन संभागियों को लाडनूँ के प्राचीन दर्शनीय स्थल बड़ा जैन मंदिर में दर्शन करवाये। मंदिर में भूगर्भ से निकले मंदिर, सरस्वती की कलात्मक प्रतिमा आदि को देखकर अभिभूत हो गये। उन्होंने यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के हरीतिमा युक्त सुन्दर व स्वच्छ वातावरण, मयूरों के स्वच्छंद विचरण आदि को भी श्रेष्ठ बताया तथा कहा कि ध्यान व साधना के लिये यह स्थान सबसे बेहतरीन है। यहां उन्होंने आचार्य तुलसी स्मारक पर भक्तामर स्त्रोत का पाठ भी किया। कार्यशाला में भाग लेने वाले सम्भागियों में अमेरिका से आये प्रो. चैपल, डेरिया ग्रिगोरेवा, लिजाबेथ मारीक्रूज, लिडीया जेन लुसियाना, सुसान लुइस, कैथरीन फ्रांसिस वेम, केरिन एलिजाबेथ, स्टेफनी क्रिस्टीना, सुवान मेगन मेकनैली, जैसन रे व आशी शामिल थे।
योग है व्यक्ति के सर्वांगीण विकास में सहायक- प्रो. दूगड़
लाडनूँ, 21 जुलाई 2018। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के योग एवं जीवन विज्ञान विभाग तथा इंटरनेशनल स्कूल फोर जैन स्टडीज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय योग एवं मेडिटेशन स्टडीज विषयक अन्तर्राष्ट्रीय कार्यशाला के समापन समारोह में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने अमेरिका से आये विद्यार्थियों से कहा कि पूरे विश्व में जैन संस्कृति के विभिन्न पहलुओं, सिद्धांतों एवं प्रेक्षाध्यान व योग के प्रति रूझान बढा है। अनेक देशों के विश्वविद्यालयों में जैन चैयर की स्थापना की गई है तथा प्रेक्षाध्यान व योग को विषय बनाया गया है। उन्होंने विश्व के अनेक विश्वविद्यालयो मेसे जैन विश्वभारती संस्थान के एमओयू के बारे में भी बताया। प्रो. दूगड़ ने योग को जीवन का ऐसा विषय बताया, जो व्यक्ति का सर्वांगीण विकास में सहायक सिद्ध होता है। उन्होंने जैन विश्वभारती संस्थान के योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के अन्तर्गत स्थापित विभिन्न प्रयेागशालाओं के बारे में बताया तथा उनमें किये जाने वाले प्रयोगों के आधार पर कायम तथ्यों को महत्वपूर्ण बताया। इस अवसर पर उन्होंने कार्यशाला के सभी संभागियों को प्रतीक चिह्न प्रदान करके सम्मानित किया। इस अवसर पर प्रो. चैपल ने कुलपति को अमेरिका के लाॅस एंजिल्स स्थित लोयेला मैरीमाइंड यूनिवर्सिटी के बारे में जानकारी दी तथा कहा कि दोनों विश्वविद्यालयों के बीच जैनिज्म एवं प्राच्य विद्याओं के अध्ययन-अध्यापन को लेकर भागीदारी संभव है।
संयम से सभी समस्याओं का समाधान संभव
इससे पूर्व कार्यशाला के संभागियों ने यहां भिक्षु विहार में विराजित मुनि जयकुमार से विभिन्न समसामयिक विषयों पर चर्चा की। मुनिश्री ने उन्हें बताया कि भ्रूण हत्या, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, भोजन विवेक आदि के बारे में जैन पक्ष सबसे श्रेष्ठ कहा जा सकता है, जिसमें संयम को महत्व दिया जाता है। संयम का पालन करने से समस्यायें उत्पन्न ही नहीं होंगी। जैन धर्म हिंसा को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करता है। फिर भ्रूण हत्या को किसी भी कारण से स्वीकार नहीं हो सकती है। योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. प्रद्युम्न सिंह शेखावत ने प्रेक्षाध्यान के वैज्ञानिक पक्ष को प्रस्तुत करते हुये संभागियों को अब तक किये गये शोध कार्यों के बारे में जानकारी दी और बताया कि विभिन्न शारीरिक व मानसिक रोगों को प्रेक्षाध्यान के प्रयोगों से उपचारित किया जाना संभव है। समणी विनयप्रज्ञा ने कार्यशाला में प्रेक्षाध्यान की उपसंपदाओं के बारे में बताया। मियामी अमेरिका की फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर समणी सत्यप्रज्ञा व समणी रोहिणी प्रज्ञा ने इस अवसर पर सभी संभागियों को अमेरिका के भामास में प्रेक्षाध्यान पर होने वाली 4 दिवसीय कार्यशाला में आमंत्रित किया। उन्होंने कैलिफोर्निया में होने वाले विविध प्रेक्षाध्यान कार्यक्रमों के बारे में बताया।
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