जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) को मिला दर्शन के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान
लाडनूँ, 22 अक्टूबर 2018। अखिल भारतीय दर्शन परिषद ने दर्शन एवं दर्शन की विभिन्न शाखाओं के अन्तर्गत प्रसार, विकास एवं शोध सम्बंधी अद्वितीय कार्य करने के उपलक्ष में जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) वर्ष 2018 का डाॅ. श्रीप्रकाश दुबे स्मृति राष्ट्रीय दर्शन पुरस्कार प्रदान किया गया है। यह राष्ट्रीय पुरस्कार संस्थान को लखनउ में आयोजित दर्शन परिषद के 63वें अधिवेशन के उद्घाटन सत्र में प्रदान किया गया। इस समारोह में राज्यसभा सांसद डाॅ. अशोक वाजपेयी के मुख्य आतिथ्य एवं लखनउ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एसपी सिंह की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। समारोह में जैन विश्वभारती संस्थान के प्रतिनिधि के रूप में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने ग्रहण किया। डाॅ. श्रीप्रकाश दुबे राष्ट्रीय दर्शन पुरस्कार के संयोजक पंकज दुबे ने इस अवसर पर बताया कि दर्शन जगत के ख्यातनाम व्यक्तित्व एसपी दुबे की स्मृति में दिया जाता है। जो शिक्षण संस्था दर्शन के क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य करती है, उन्हें इससे नवाजा जाता है। यह दर्शन क्षेत्र का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार है। राष्ट्रीय पुरस्कार निर्णायक समिति ने दर्शन विषय के उन्नयन के लिये जैन विश्वभारती संस्थान को 2018 के पुरस्कार के लिये चयन किया है। अखिल भारतीय दर्शन परिषद का दर्शन के क्षेत्र में यह विशेष पुरस्कार इससे पूर्व वाराणसी हिन्दू विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित केन्द्रीय विश्वविद्यालय को दिया जा चुका है।
ऋषि दिखाते थे समाज को दिशा
अखिल भारतीय दर्शन परिषद के 63वें अधिवेशन के शुभारम्भ पर मुख्य अतिथि सांसद डॉ. अशोक बाजपेयी ने कहा कि पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति का अलग महत्व है। प्राचीन परंपरा से ही इसमें अध्यात्म का बड़ा योगदान रहा है। हमारे ऋषि जंगलों में जाकर तपस्यायें करते थे। इसके बाद वे समाज को दिशा दिखाते थे कि क्या किया जाना चाहिए। धर्म, संस्कृति और नैतिकता एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। इनको अलग नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में कट्टरता नहीं है। लचीलापन होने की वजह से समय-समय पर होने वाले अच्छे बदलाव इसका हिस्सा बने हैं। हमारी संस्कृति अक्षुण्ण है। धर्म, नैतिकता एवं सस्कृति विषय पर आधारित इस तीन दिवसीय अधिवेशन में वक्ताओं ने विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम के पहले दिन शुभारंभ के अवसर पर पुरस्कारों का वितरण भी किया गया। इनमें अखिल भारतीय दर्शन आजीवन परिलब्धि पुरस्कार प्रो. राजेंद्र स्वरूप भटनागर को, आचार्य राम प्रसाद त्रिपाठी स्मृति पुरस्कार-प्रो.नरेंद्र नाथ पांडेय को, स्वामी प्रणवानंद दर्शन पुरस्कार-स्व. प्रो.सत्यपाल गौतम को, श्री स्वचेंद्र सिंह नागर स्मृति पुरस्कार-डॉ.श्रीकांत सिंह को, प्रो. सोहनराज दर्शन पुरस्कार-डॉ. रमेशचंद्र वमा को, वैद्य गणपतराम गुजरात पुरस्कार-डॉ. रेणुबाला को, स्वामी दयानंद निबंध पुरस्कार-मनोज कुमार मिश्र को, कमला देवी जैन स्मृति सर्वश्रेष्ठ शोधपत्र पुरस्कार-डॉ. आलोक को तथा अखिल भारतीय युवा दार्शनिक पुरस्कार-डॉ. पवन कुमार यादव को दिया गया।
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