जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में समारोह पूर्वक मनाया गया वसंत पंचमी उत्सव

पौराणिक व ऐतिहासिक महत्व है वसंत पंचमी का- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 9 फरवरी 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत व संस्कृत विभाग में वसंत पंचमी का पर्व समारोह पूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम में प्राचार्य प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने वसंत पंचमी के महत्व को प्रतिपादित करते हुये कहा कि यह दिवस पौराणिक व ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। सरस्वती के जन्म की कथा सुनाते हुये उन्होंने कहा कि इसी दिन ब्रह्मा ने अपने कमंडल के जल से सरस्वती को पैदा किया था और सरस्वती के कारण सम्पूर्ण प्रकृति में वाणी का संचार हुआ था। इसी कारण वसंत पंचमी के दिन को वाग्देवी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने ऐतिहासिक महत्व बताते हुये कहा कि इसी दिन पृथ्वीराज चैहान ने मोहम्मद गौरी को मारकर आत्म बलिदान किया था। इसी दिन राजा भोज व हर्श वर्द्धन लोक कल्याण के कार्य करते थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये प्रो. दामोदर शास्त्री ने कहा कि वसंत पंचमी को दो माताओं की पूजा की जाती है। प्रथम मां प्रकृति है, जो हमें आश्रमय देती है और द्वितीय मां सरस्वती है, जो हमें विद्या और विविध कलाओं का ज्ञान देती है। इस दिन से वसंत ऋतु का प्रारम्भ होता है और प्रकृति अपना श्रृंगार करती है। उन्होंने इस दिन यह संकल्प लेने की जरूरत बताई, जिसमें हर व्यक्ति बौद्धिक विकास पर बल दे और भौतिक विकास पर कम ध्यान देवे। कार्यक्रम का प्रारम्भ मंगलाचरण व सरस्वती की पूजा-अर्चना करके किया गया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज ने किया।

शारदा की आराधना उपयोगी

आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में भी वसंत पंचमी उत्सव को समारोह पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में प्राचार्य प्रो. एपी त्रिपाठी ने विद्या की देवी मां शारदा की आराधना का महत्व बताया तथा कहाकि इससे वे बुलन्दियों को छू पायेंगे। उन्होंने बताया कि यह दिवस किसानों के लिये समृद्धि का दिन है। कार्यक्रम में छात्रा अफसाना राव ने विद्यार्थी जीवन में वसंत पंचमी का महत्व बताया। दीपिका सोनी ने विभिन्न राज्यों में वसंत पंचमी पर आयोजित की जाने वाली विभिन्न परम्पराओं से अवगत करवाया। सोनम कंवर, निकिता शर्मा व उर्मिला डूकिया ने वसंत पंचमी के बारे में विभिन्न प्रस्तुतियां दी। प्रारम्भ में रेणु मणोत ने सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम की शुरूआत की। स्नेहा पारीक ने शारदा गीत प्रस्तुत किया। अभिशेक चारण ने कार्यक्रम का संचालन किया तथा वसंत शीर्षक से कविता सुनाई। कार्यक्रम में कमल कुमार मोदी, योगश टाक, सोनिका जैन, डाॅ. प्रगति भटनागर, अपूर्वा घोड़ावत, सोमवीर सांगवान, रत्ना चैधरी आदि उपस्थित थे। इसी प्रकार शिक्षा विभाग के अन्तर्गत शनिवार को वसंत पंचमी व सरस्वती पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने इस अवसर पर बताया कि मनुष्य जीवन में विद्या महत्वपूर्ण होती है। विद्या के बिना व्यक्ति पशुवत हो जाता है। मानव-संसार की समस्त रचनायें विद्या से ही सृजित होनी संभव है। सह आचार्य डाॅ. गिरीराज भोजक ने भारतीय संस्कृति में त्यौंहारों के महत्व के बारे में बताते हुये सरस्वती पूजन की महता पर प्रकाश डाला। अम्बिका शर्मा ने वसंत पंचमी पर्व के आगमन पर बदलते मौसम, खिलते हुये फूलों व पल्लवित होती शाखाओं की शुरूआत के साथ प्रकृति की सौगात के रूप में वसंत के महत्व को बताया तथा वसंत पंचमी मनाये जाने के कारणों पर रोशनी डाली। कार्यक्रम का प्रारमभ सरस्वती पूजन के साथ किया गया। अंत में डाॅ. आभासिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में शिक्षा विभाग के समस्त आचार्य एवं छात्राध्यापिकायें उपस्थित रही।

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