जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में विश्व मातृभाषा दिवस पर समारोह का आयोजन

मान्यता नहीं होने पर भी जन-जन की भाषा है राजस्थानी- प्रो. त्रिपाठी

लाडनूँ, 21 फरवरी 2019। विश्व मातृभाष दिवस के अवसर पर गुरूवार को यहां जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के ऑडिटोरियम में एक समारोह का आयोजन किया गया। अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. रेखा तिवाड़ी की अध्यक्षता में हुये इस समारोह में मुख्य अतिथि दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने राजस्थानी भाषा को मान्यता दिये जाने एवं उसके विकास को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मातृभाषा हृदय के उद्गारों को व्यक्त करने वाली भाषा होती है। राजस्थान में विद्यालयों में बच्चों को अध्यापन किये जाने की भाषा राजस्थानी है और राजस्थानी में ही पढाये जाने पर बच्चा अच्छी तरह से सीख पाता है। भले ही राजस्थानी को शासकीय मान्यता नहीं मिली हो, लेकिन प्रदेश में जन-जन की भाषा आज भी यही है। प्रांत के समस्त लोगों के व्यवहार की अभिव्यक्ति राजस्थानी भाषा में ही होती है। उन्होंने कहा कि हमें बिना किसी विवाद के अपनी मातृभाषा को सम्मान देना चाहिये। प्रो. त्रिपाठी ने भारत को बहुभाषी देश बताते हुये कहा कि जिन देशोें में एक भाषा को राजभाषा स्वीकार किया गया है, उन सभी देशों ने तरक्की की है। रूस, चीन, जापान, जर्मनी, इस्राइल इसके प्रमुख उदाहरण हैं। भाषा को लेकर विवाद नहीं होना चाहिये।

सब भाषाओं की जननी संस्कृत का महत्व नहीं भूलें

अध्यक्षता करते हुये प्रो. रेखा तिवाड़ी ने कहा कि हमारा देश विवधता सम्पन्न है और भाष सम्बंधी विवधतायें भी बहुत हैं, लेकिन समस्त भाषाओं की जननी संस्कृत है। हमें संस्कृत के महत्व को समझना चाहिये। उन्होंने हिन्दी, अंग्रेजी व रसियन भाषाओं में एकरूपता वाले शब्दों का उदाहरण देते हुये कहा कि सभी शब्द मूल रूप से संस्कृत से ही निकले हैं। उन्होंने कहा कि जो भी भाषा बोलें, सही बोलें, समझ कर बोलें और शोभाजनक बोलें। आपकी भाषा से किसी को ठेस नहीं लगनी चाहिये। शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने मातृभाषा और राजभाषा तथा शिक्षण में भाषाओं का स्तर व मान्यता के बारे में इतिहास बताते हुये कहा कि मातृभाषा के विकास पर जोर दिया जाना आवश्यक है। प्रतियोगिता समन्वयक डाॅ. अनिता जैन ने कहा कि मातृभाषा में शिक्षा दिया जाना शिक्षा को सरल व सुबोध बनाता है। उन्होंने बच्चों के लिये मां के दूध के समान ही मातृभाषा को विकास के लिये जरूरी बताया। अंत में डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में डाॅ. गिरीराज भेाजक, अभिषेक चारण, डाॅ. आभासिंह, सोनिका जैन आदि उपस्थित रहे।

गायन, भाषण व पेंटिंग प्रतियोगिता आयोजित

विश्व मातृभाषा दिवस समारोह के अन्तर्गत द्वितीय चरण में मातृभाषा पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया, जिनमें छात्राओं ने एक से बढकर एक प्रस्तुति दी। प्रारम्भ में एकल गायन प्रतियेागिता का आयोजन किया गया, जिनमें कुल 15 प्रतिभागियों ने भाग लिया। इस प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर जौहरा फातिमा रही। द्वितीय स्थान पर आशा स्वामी और तृतीय स्थान पर सैयद निखतनाज रही। भाषण प्रतियोगिता में कुल 7 प्रतिभागी छात्राओं ने हिस्सा लिया। इनमें से प्रथम दक्षता कोठारी रही तथा द्वितीय आयुषी सैनी व तृतीय स्थान पर सुविधा जैन रही। पेंटिंग प्रतियोगिता में कुल 6 छात्राओं ने हिस्सा लिया। निर्णायकों में डाॅ. गिरीराज भेाजक व अभिषेक चारण थे।

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