जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग में स्नातकोत्तर के विदाई समारोह का आयोजन

ज्ञान व आचार की समन्विति से आता है जीवन में निखार- प्रो. शास्त्री

लाडनूँ, 1 अप्रेल 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के प्राकृत एवं संस्कृत विभाग में स्नातकोत्तर के विदाई समारोह में प्रो. दामोदर शास्त्री ने विद्यार्थियों को भावी जीवन की बधाई देते हुये कहा कि ज्ञान का सार आचार होता है, इसलिये अपने आचरण को हमेशा उज्ज्वल रखना चाहिये। आचरण की उज्ज्वलता ही जीवन में आगे बढाने में सहायक होती है। ज्ञान और आचार की समन्विति जीवन में निखार लाती है। विभागाध्यक्ष डाॅ. समणी संगीतप्रज्ञा ने कहा कि विदाई से इस बात की प्रेरणा मिलती है कि जो कुछ हमने सीखा है, उसकर व्यापक प्रसार करें। उन्होंने कहा कि प्राच्य विद्याओं में रूचि होना अपनी जड़ों की तरफ लौटना है। इसके लिये हमें अन्यों को भी प्रेरित करना चाहिये। उन्होंने विद्यार्थियों के आध्यात्मिक जीवन के लिये मंगलकामनायें की। डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज ने भी विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में समणी भास्कर प्रज्ञा एवं समणी सम्यक्त्व प्रज्ञा ने कविताओं के माध्यम से अपने विचार व्यक्त किये। समणी धृतिप्रज्ञा, मुमुक्षु खुशबू, मुमुक्षु दर्शिका, मुमुक्षु पूजा, मुमुक्षु करिश्मा, मुमुक्षु वंदना व मुमुक्षु खुशबू ने अपने अध्ययनकाल के दो वर्षों के अनुभव साझा किये। कार्यक्रम में विद्यार्थियों के अलावा शोधार्थी मीनाक्षी व डाॅ. वन्दना मेहता भी उपस्थित रही। कार्यक्रम का संचालन मुमुक्षु सुरभि, मुमुक्षु प्रज्ञा एव मुमुक्षु प्रेक्षा ने किया।

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