आचार्य महाप्रज्ञ रचित ‘परिवार के साथ कैसे रहें’ पुस्तक की समीक्षा
बढ रही पारिवारिक कलह और समस्याओं के हल पर विचार आवश्यक
लाडनूँ, 12 अगस्त 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन का कहना है कि आचार्य महाप्रज्ञ द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘परिवार के साथ कैसे रहें’’ में परिवार की समस्त प्रकार की समस्याओं का समाधान निहित है। वे यहां बीएड, एमएड, बीएससी-बीएड व बीए-बीएड की छात्राध्यापिकाओं के समक्ष आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर उनकी इस कृति की समीक्षा प्रस्तुत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि परिवार एक छोटी इकाई है, उसमें ढेर सारी समस्यायें पैदा हो गई हैं, जिसके कारण समाज व राष्ट्र भी समस्याओं से ग्रसित है। भैतिक सम्पन्नता के बावजूद आज कहीं सुख-शांति नहीं है। परिवार में बहुत सारे सदस्य अपने पारिवारिक जीवन में क्रंदन, रूदन व दुःख भरा जीवन जी रहे हैं। पारिवारिक जीवन को नारकीय जीवन जैसा बना दिया गया है। हमारा व्यवहार, हमारी वाणी, हमारे विचार परिवार को सुखी, आनन्दित और प्रसन्नतामय बना सकते हैं। इन तीनों के विकार व विकृतिमय प्रयोग से परिवार का जीवन कष्टमय व दुःखी बन जाता है। आज परिवार में धैर्य, क्रोध, अहंकार व लोभ बढते जा रहे हैं, जिसके कारण अशांति, कलह, झगड़े व संघर्ष वृद्धिगत हो रहे हैं। परिवार में बुरी आदतें मद्यपान, धूम्रपान, नशीले पदार्थों का सेवन आदि के कारण पारिवारिक समस्यायें बढी हैैं, क्योंकि परिवार में अशांति होने के कारण परिवार के सदस्य इनका सेवन करते हैं। किशोर व युवा वर्ग मोबाईल, टीवी, वीडियो को देखने के कारण व फास्ट फूड, मांसाहारी भोजन आदि के कारण परिवार में समस्यायें परिलक्षित हो रही हैं। इन सभी समस्याओं का समाधान आचार्यश्री महाप्रज्ञ की इस पुस्तक में विवेचित है। हमें इस पुस्तक का अध्ययन अवश्य करना चाहिये। यह निश्चित ही उपयोगी व लाभकारी सिद्ध होगी।
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