जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में क्षमायाचना पर्व का आयोजन
राग-द्वेष की भावना आने पर भी क्षमायाचना जरूरी- प्रो. दूगड़
लाडनूँ, 4 सितम्बर 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा है कि जैन धर्म की तीन बातें महत्वपूर्ण हैं। उनमें पहला है नमस्कार महामंत्र, जिसमें दुनिया के समस्त साधु-संतों, मुनियों, सिद्धों आदि को बिना किसी भेदभाव के नमस्कार किया जाता है। दूसरा है अहिंसा व अनेकांत का सिद्धांत। सभी जानते हैं कि सारे झगड़ों के जड़ वैचारिक भिन्नता होती है, अनेकांत इस वैचारिक भिन्नता को समाप्त करता है और शांति स्थापित करने में अहिंसा महत्वपूर्ण है। तीसरी महत्वपूर्ण बात है क्षमायाचना। अपनी भूलों के लिये क्षमा मांगने से परस्पर कटुता खत्म होती है। जैनों ने क्षमा याचना के लिये ‘‘खम्मत खामणा’’ शब्द का प्रयोग किया है। यह प्राकृत भाषा का शब्द है। इसमें क्षमा करना और क्षमा मांगना दोनों शामिल है। इसमें क्षमा का आदान-प्रदान है। खम्मत-खामणा केवल गलतियों के लिये ही नहीं किया जाता। राग-द्वेष की भावना का आना भी गलत होता है। इसके लिये खम्मत-खामणा का प्रयोग राग-द्वेष केे व्यवहार के लिये भी किया जाता है। वे यहां विश्वविद्यालय में सम्वत्सरी पर्व के भाग क्षमायाचना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने इस अवसर पर विश्वविद्यालय के समस्त विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं गैर शैक्षणिक स्टाफ से एक साल की अवधि के दौरान हुई व्यवहार आदि की भूलों के लिये क्षमायाचना की। कार्यक्रम में दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, अहिंसा व शांति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर, शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन, विताधिकारी आरके जैन एवं विद्यार्थी प्रतिनिधियों के रूप में पारख जैन व साक्षी प्रजापत ने भी सम्बोधित किया एवं क्षमायाचना की। कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने परस्पर क्षमायाचना की। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. योगेश जैन ने किया।
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