जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में आचार्य शांतिसागर समाधि हीरक महोत्सव व्याख्यान आयोजित
अध्यात्म को विज्ञान की जरूरत है और विज्ञान को अध्यात्म की- प्रो. गेलड़ा
लाडनूँ, 17 सितम्बर 2019। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) महाप्रज्ञ-महाश्रमण ऑडिटोरियम में प्रशममूर्ति आचार्यश्री शांतिसागर छाणी समाधि हीरक महोत्सव स्मृति व्याख्यान के अन्तर्गत मंगलवार को व्याख्यानकर्ता प्रो. डाक्टर महावीर राज गेलड़ा ने कहा कि जैन आचार्यों में अपने साधु-जीवन के बावजूद समाज के सुधार व उत्थान की जो भावना पाई जाती है, वह अतुलनीय है। आचार्यशांतिसागर छाणी ने सामाजिक सुधार के लिये बहुत कार्य किये। आज अमेरिका व इंग्लैंड में रहने वाले भारतीय परिवारों का वहां का आकर्षा समाप्त हो गया है। उनमें चिंतायें बढी है और परिवार टूट रहे हैं। आज उन्हें भारतीय साधुओं व श्रमणों की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर दुःख व्यक्त किया कि जैन धर्म में 300 आचार्य हैं, हमें एक सोच की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र संघ की सूची में केवल 6 धर्म ही माने गये हैं, जिनमें जैन धर्म शामिल नहीं है। हमें जैन धर्म को उस सूची में दर्ज करवाने की आवश्यकता है। हमें जैन धर्म के मार्ग या सिद्धांत को नहीं बल्कि उसके कान्सेप्ट को पकड़ना है। आगम दिगम्बर जैनों के अलग हैं और श्वेताम्बरों के अलग हैं, लेकिन उनमें ज्यादा फर्क नहीं है। आचार्य कहते हैं कि अध्यात्म को विज्ञान की जरूरत है और विज्ञान को अध्यात्म की आवश्यकता है। जैन दर्शन के एक सिद्धांत दिया-अनेकांत। अपनी दृष्टि सही होनी चाहिये। नैतिकता को जीवन में लायें, लेकिन अच्छा व बुरा को समझने की शक्ति भी होनी जरूरी है।
जैन दर्शन में समाहित है विश्व-शांति का आधार
कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने अपने सम्बोधन में कहा कि आचार्य शांतिसागर को पढने पर ऐसा लगता है कि महावीर भगवान की पुनरावृति हुई है। उन्होंने समाजोद्धार व समाजोत्थान को महत्व दिया था। उत्तर भारत में लुप्त हो रही दिगम्बर परम्परा को उन्होंने पुनर्जीवित किया। उन्होंने कहा कि विश्व में शांति का आधार जैन धर्म व दर्शन में ही निहित है। पक्ष के साथ प्रतिपक्ष का होना इस जगत का सच है। हमें सम्यक् दृष्टि से काम करना होगा। इस दृष्टि के व्यापक होने से जैन समाज बहुत बड़ा काम कर सकता है। उन्होंने जैन समन्वय की आवश्यकता बताते हुये कहा कि जैन विश्वभारती संस्थान ने इस दृष्टि से बहुत कार्य किया है। समस्त जैन संस्थाओं और जेन आचार्यों के समन्वय का काम किया जा रहा है। छाणी समाधि हीरक महोत्सव समिति के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अभय गोहिल ने अपने सम्बोधन में कहा कि आचार्य शांतिसागर छाणी ने कुरीतियों को मिटाने का काम किया। उनके समय में कन्याओं का विक्रय होता था, जिसे बंद करवाया। शिक्षा के क्षेत्र में भी काम किया। उन्होंने धर्म-प्रभावना के साथ समाज के लिये भी काम किया, देश व समाज की एकता के लिये भी काम किया।
भारतीय संस्कृति के जाज्वल्यमान नक्षत्र थे छाणी महाराज
समिति की कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ. सरिता एमके जैन ने कहा कि आचार्य शांतिसागर महाराज भारतीय संस्कृति के जाज्वल्यमान नक्षत्र थे। समस्त प्रतिकूलताओं के बावजूद उन्होंने समाज सुधार का बीड़ा उठाया और वीतराग साधना से जन-जन को अवगत करवाया। प्रारम्भ में प्रो. नलिन के. शास्त्री ने हीरक जयंती आयोजन समिति, जैन विश्वभारती संस्थान के पदाधिकारियों एवं अतिथियों का परिचय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में आचार्य ज्ञानसागर महाराज का वीडियो संदेश प्रदश्रित किया गया, जिसमें उन्होंने धार्मिक समन्वय एवं सकारात्मक सोच को छाणी महाराज की विशेषता बताया। मुमुक्षु बहिनों ने मंगल संगान से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। अंत में कुलसचिव रमेश कुमतार मेहता ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम में अतिथियों के रूप में पूर्व कुलपति प्रो. महावीर राज गेलड़ा, जैन विश्व भारती के उपमंत्री जीवनमल मालू, पूर्व मुख्य ट्रस्टी भागचंद बरड़िया, न्यायमूर्ति अभय गोहिल व डाॅ. सरिता एमके जैन चैन्नई थे। योगेश जैन दिल्ली, अनिल जैन दिल्ली, मनीष कुमार जैन, फकीरचंद जैन, अमित जैन, दीपक जैन, बलवीर जैन, राजीव जैन, प्रो. दामोदर शास्त्री, प्रो. रेखा तिवाड़ी, प्रो. बीएल जैन, प्रो. अनिल धर, डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, डाॅ. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. गिरीराज भोजक, डाॅ. सुनिता इंदौरिया, डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़, डाॅ. विकास शर्मा, डाॅ. सत्यनारायण भारद्वाज आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. योगेश जैन ने किया।
Latest from
- क्षमा के आदान-प्रदान से बन सकता है कार्य-व्यवहार और जीवन शुद्ध- कुलपति प्रो. दूगड़
- छात्राओं ने टैलेंट को प्रस्तुत कर गीत, नृत्य, काॅमेडी से सबको किया प्रभावित
- गणेश चतुर्थी कार्यक्रम में भजन-वंदना, श्लोक, आरती, की प्रस्तुति
- पर्युषण पर्वाराधना कार्यक्रम के तहत ध्यान दिवस मनाया
- पर्युषण पर्व के छठे दिन ‘जप दिवस’ मनाया
- त्याग से जीवन में नियंत्रण और समता भाव बढते हैं- मुनिश्री कौशल कुमार
- शिक्षक सिखाते हैं जीवन को सफल बनाने की कला- प्रो. दूगड़
- दीक्षारंभ कार्यक्रम के चैथे दिन शिक्षक दिवस आयोजित
- दीक्षारंभ कार्यक्रम के तीसरे दिन व्यक्तित्व विकास पर व्याख्यान, योग का महत्व बताया
- वाणी संयम के साथ मितभाषिता भी सफल जीवन के लिए जरूरी- प्रो. त्रिपाठी
- जीवन में दृष्टिकोण परिवर्तन एवं ‘सकारात्मक’ बनने के तरीके बताए
- वास्तुदोष के प्रभाव एवं निराकरण के वैज्ञानिक उपाय पर व्याख्यान आयोजित
- सात दिवसीय पर्युषण पर्व में ‘सामायिक दिवस’ मनाया
- पर्युषण पर्व सप्ताह में दूसरे दिवस ‘स्वाध्याय दिवस’ मनाया
- प्राकृत भाषा और साहित्य में निहित है भारतीय संस्कृति का मर्म- प्रो. अनेकान्त जैन
- योगासन स्वस्थ एवं फिट रहने का महत्वपूर्ण आधार
- फिट इंडिया शपथ कार्यक्रम का आयोजन
- जैन विश्व भारती संस्थान में राष्ट्रीय खेल दिवस का आयोजन
- दो छात्राओं का नेवी और सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्तियां
- एन.एस.एस. द्वारा बैडमिंटन खेल का आयोजन
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर जागरूकता रैली निकाली
- छात्राध्यापिकाओं ने जन्माष्टमी पर्व मनाया, नृत्य व भजनों से कृष्ण को रिझाया
- युवा अहिंसा प्रशिक्षण शिविर: शांतिपूर्ण समाज का आधार
- राष्ट्रीय अन्तरिक्ष दिवस पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन
- संस्कृत दिवस व रक्षाबंधन कार्यक्रम आयोजित
- मेहंदी और लहरिया महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन
- सात दिवसीय ‘रैगिग अपराध निषेध’ कार्यशाला का आयोजन
- वैदिक परम्परा में निहित हैं जीव और प्राण कीे वैज्ञानिकता के सूत्र- डाॅ. साहू
- एंटी रैगिंग जागरूकता एवं नशा मुक्ति कार्यक्रम आयोजित
- सात दिवसीय ‘रैगिग अपराध निषेध’ कार्यशाला का आयोजन
- जैविभा विश्वविद्यालय में 78वां स्वाधीनता दिवस धूमधाम से मनाया
- ‘हर घर तिरंगा’ रैली का आयोजन, लोगों को किया प्रेरित
- भारत विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर व्याख्यान आयोजित
- सात दिवसीय रैगिंग अपराध निषेध कार्यक्रम में तृतीय दिवस पीजी स्टुडेंट्स की कार्यशाला का आयोजन
- रैगिंग और नशावृति शिक्षा के लिए अवरोधक होते हैं, रेका जाना जरूरी- डॉ. कौशिक
- सात दिवसीय एंटी रैगिग कार्यशाला का आयोजन
- सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में स्वामी, ठोलिया व बुरड़क तीनों प्रथम रही
- प्रख्यात लेखक मुंशी प्रेमचंद जयंती पर कार्यक्रम आयोजित
- ‘आख्यानमणिकोश’ ग्रंथ पर प्राकृत मासिक व्याख्यानमाला का 37वां व्याख्यान आयोजित
- ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत छात्राओं, प्रोफेसर्स आदि ने पेड़ लगाए
- जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में नए पाठ्यक्रम शुरू करने पर विचार
- जैन विश्वभारती संस्थान की एलसीसी छात्राओं ने गोल्उ व सिल्वर मैडल जीते
- अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सामुहिक योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित
- संस्थान में राजस्थानी भाषा अकादमी के सप्त दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय राजस्थानी समर स्कूल का आयोजन
- कॅरियर की संभावनाओं के अनेक द्वार खोलता जैविभा विश्वविद्यालय का योग एवं जीवन विज्ञान विभाग
- लाडनूँ में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति का सफल उपक्रम- आचार्य महाप्रज्ञ नेचुरोपैथी सेंटर जहां किसी मरीज के लिए निराशा की कोई जगह नहीं है
- जैविभा विश्वविद्यालय की विशेष खोज ‘अहिंसा प्रशिक्षण प्रणाली’ को पैटेंट मिला
- विश्वस्तरीय डिजीटलाईज्ड लाईब्ररी है लाडनूं का ‘वर्द्धमान ग्रंथागार’ जहां दुर्लभ पांडुलिपियों के साथ हर विषय के ग्रंथों व शोधपत्रों का सागर समाया है
- एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने पेड़ों पर लटकाए मिट्टी के परिंडे
- भारतीय ज्ञान परमपरा समस्त विश्व में बेहतरीन है, इसे बचाए रखें- प्रो. जैन