आचार्य महाप्रज्ञ समाधिस्थल पर गोष्ठी व ध्यान
प्राचीन ज्ञान व अर्वाचीन विज्ञान के सेतु थे महाप्रज्ञ- प्रो. दूगड़
लाडनूँ, 1 जनवरी 2020। आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के अन्तर्गत जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के समस्त शैक्षणिक एवं गैर शैक्षणिक कार्मिकों ने कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के नेतृत्व एवं निर्देशन में सरदार शहर स्थित आचार्य महाप्रज्ञ के समाधस्थिल ‘‘शांतिपीठ’’ में एक गोष्ठी का आयोजन करके विचारों का सम्प्रेषण किया एवं उनकी समाधि पर दर्शन व ध्यान के द्वारा शांति की प्रार्थना की। समाधिस्थल पर ध्यान व दर्शनों के दौरान कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने नववर्ष की सबको बधाई देते हुये कहा कि इस अध्यात्म शांति पीठ के दर्शन नये साल में सबके लिये प्रेरणादायी सिद्ध हों। उन्होंने ज्ञान की महता बताई और कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ बिना किसी भेदभाव के आत्मिक ज्ञान का सम्प्रेषण करते थे और समदृष्टि पूर्वक ज्ञान ग्रहण करते थे। वे भारत के प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के सेतु थे।
आज भी प्रेरित करता है महाप्रज्ञ का साहित्य
यहां आयोजित गोष्ठी में अध्यक्षता करते हुये दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने महाप्रज्ञ के जन्म शताब्दी वर्ष के अवसर पर विश्वविद्यालय के तत्वावधान में किये जाने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी और बताया कि वे ऐसे मनीषी थे, जिनकी रचनाओं एवं प्रवचनों में विश्व के लगभग सभी विषयों पर सार्थक विवेचन मिलता है। उन्होंने बताया कि वे सबके लिये प्रेरणापुंज थे और उनके लिखे शब्द आज भी लोगों को प्रेरित करते हैं। इस अवसर पर सोमवीर सांगवान, डाॅ. पुष्पा मिश्रा, प्रगति चैरड़िया, पंकज भटनागर व डाॅ. वीरेन्द्र भाटी मंगल ने भी अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम में प्रेरणादायक गीत व भजनों की प्रस्तुतियां भी दी गई। इस अवसर पर प्रो. अनिल धर, प्रो. रेखा तिवाड़ी, डा. भाबाग्रही प्रधान, डाॅ. बिजेन्द्र प्रधान, डाॅ. प्रद्युम्नसिंह शेखावत, डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़, डाॅ. अशोक भास्कर, डाॅ. सतयनारायण भारद्वाज, डाॅ. सुनिता इंदौरिया, डाॅ. आभासिंह, डाॅ. विनोद कस्वां, डाॅ. पुष्पा मिश्रा, प्रगति जैन, पंकज भटनागर, डाॅ. जेपी सिंह, डाॅ. बलबीर सिंह चारण, कमलकुमार मोदी, डाॅ. वीरेन्द्र भाटी, रमेशदान चारण, प्रकाश गिड़िया, जगदीश यायावर, दीपाराम खोजा, शरद जैन, पवन सैन आदि उपस्थित थे।
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