जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में वसंत पंचमी पर कार्यक्रम का आयोजन

ऋतुओं के परिवर्तनों को मनाया जाता है त्यौंहार के रूप में- प्रो. जैन

लाडनूँ, 29 जनवरी 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने वसंत पंचमी के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये कहा कि हमारे देश में ऋतुओं के परिवर्तनों को त्यौंहार के रूप में मनाने की परम्परा रही है। वसंत ऋतु के आगमन के प्रतीक के रूप में प्रकृति के नवीन स्वरूप में आने की खुशी के रूप में हर वर्ष वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है और इस अवसर पर सरस्वती मां की आराधना की जाती है। सरस्वती उपासकों शिक्षक, विद्यार्थी, लेखक और अन्य विद्वानों को इस पर्व पर अपने कार्यों, आदर्शों व व्यवहार में संस्कारों को प्रधानता देने का संकल्प लेना चाहिये। संस्कृति के निर्माण के लिये प्रेरणा एवं आधुनिक काल की विसंगतियों से बचाव करने की भूमिका निभाने को पर्व का मूल समझना चाहिये। डाॅ. गिरीराज भोजक ने वसंत पंचमी पर्व को जीवन में उल्लास भरने वाला और सृजन का संचार करने वाला पर्व बताया और कहा कि सदैव ज्ञानार्जन के प्रति उत्सुक रहना चाहिये और अपने गुरूजनों व माता-पिता के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिये। कार्यक्रम में छात्राध्यापिकाओं ने वसंत पंचमी पर्व की वैज्ञानिकता और उसके पौराणिक महत्व के बारे में बताया। कार्यक्रम में डाॅ. मनीष भटनागर, डाॅ. अमिता जैन, डाॅ. गिरधारीलाल शर्मा, रवि कुमार, स्वाति एवं समस्त एमएड, बीएड, बीए-बीएड, बीएससी’-बीएड में अध्ययनरत छात्राध्यापिकायें उपस्थित रही।

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