आचार्य महाप्रज्ञ की पुस्तक प्रेक्षाध्यानः लेश्याध्यान की समीक्षा प्रस्तुत Featured
व्यक्तित्व का रूपांतरण करने में सक्षम होती हैं लेश्यायें
लाडनूँ, 31 जनवरी 2020। आचार्य महाप्रज्ञ जन्म शताब्दी वर्ष के अन्तर्गत संचालित विविध गतिविधियों में पुस्तक समीक्षा कार्यक्रम में शुक्रवार को जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने आचार्य महाप्रज्ञ कृत पुस्तक ‘‘प्रेक्षा ध्यान: लेश्याध्यान’’ की समीक्षा प्रस्तुत करते हुये कहा कि महाप्रज्ञ इस पुस्तक में कहते हैं कि व्यक्ति में अच्छी व बुरी प्रवृतियों का कारण उसकी लेश्यायें होती हैं। लेश्या के चेतना स्तर पर व्यक्ति अपने व्यक्तित्व का रूपांतरण कर सकता है। मनुष्य में वृतियों, भाव या आदतों को उत्पन्न करने वाला सशक्त तंत्र लेश्यातंत्र है। इनमें रंगों के व्यक्तित्व पर प्रभाव को चित्रित किया गया है और बताया गया है कि रंगों का साम्राज्य अखंड है और इनका प्रभाव हमारे कर्म-शरीर पर भी पड़ता है। महाप्रज्ञ ने वर्णित किया है कि बुरी आदतों को उत्पन्न करने वाली तीन लेश्यायें होती हैं- कृष्ण लेश्या, नील लेश्या और कापोत लेश्या। इन तीन लेश्याओं से क्रूरता, हत्या, कपट, असत्य, प्रवंचन, धोखाधड़ी, विषय-लोलुपता, प्रमाद, आलस्य आदि बुराइयां पैदा होती हैं। इन लेश्याओं के संवादी स्थान अधिवृक्क ग्रंथियां और जनन ग्रंथियां होती हैं। ये अप्रशस्त लेश्यायें हैं। प्रशस्त लेश्यायें भी तीन हैं। इनमें तेजो लेश्या का वर्ण लाल, पद्म लेश्या का वर्ण पीला और शुक्ल लेश्या का वर्ण सफेद होता है। ये तीनों अच्छी आदतें उत्पन्न करती हैं। जब इन लेश्याओं के स्पंदन जागते हैं तब व्यक्ति के भाव निर्मल हो जाते हैं। अभय, मैत्री, शांति, क्षमा आदि पवित्र भावों का निर्माण होता है। लेश्याओं के कारण जब व्यक्ति की अच्छी प्रवृति होती है तो अच्छा चिंतन, अच्छा भाव और अच्छा कार्य होता है, जबकि बुरी प्रवृति के समय व्यक्ति बुरा चिंतन, बुरा भाव और बुरा कार्य करने लगता है। प्रो. जैन ने बताया कि इस पुस्तक में महाप्रज्ञ ने पांच अध्यायों में अपनी बात को प्रकट किया है, जिनमें प्रथम अध्याय में लेश्या ध्यान-आध्यात्मिक आधार, द्वितीय अध्याय में लेश्या विज्ञान- वैज्ञानिक आधार, तृतीय में लेश्या ध्यान- ध्यान क्यों, चतुर्थ अध्याय में लेश्या ध्यान विधि तथा पंचम अध्याय में लेश्या ध्यान निष्पति का वर्णन किया गया है।
Latest from
- पर्युषण पर्व सप्ताह में दूसरे दिवस ‘स्वाध्याय दिवस’ मनाया
- प्राकृत भाषा और साहित्य में निहित है भारतीय संस्कृति का मर्म- प्रो. अनेकान्त जैन
- योगासन स्वस्थ एवं फिट रहने का महत्वपूर्ण आधार
- फिट इंडिया शपथ कार्यक्रम का आयोजन
- जैन विश्व भारती संस्थान में राष्ट्रीय खेल दिवस का आयोजन
- दो छात्राओं का नेवी और सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्तियां
- एन.एस.एस. द्वारा बैडमिंटन खेल का आयोजन
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर जागरूकता रैली निकाली
- छात्राध्यापिकाओं ने जन्माष्टमी पर्व मनाया, नृत्य व भजनों से कृष्ण को रिझाया
- युवा अहिंसा प्रशिक्षण शिविर: शांतिपूर्ण समाज का आधार
- राष्ट्रीय अन्तरिक्ष दिवस पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन
- संस्कृत दिवस व रक्षाबंधन कार्यक्रम आयोजित
- मेहंदी और लहरिया महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन
- सात दिवसीय ‘रैगिग अपराध निषेध’ कार्यशाला का आयोजन
- वैदिक परम्परा में निहित हैं जीव और प्राण कीे वैज्ञानिकता के सूत्र- डाॅ. साहू
- एंटी रैगिंग जागरूकता एवं नशा मुक्ति कार्यक्रम आयोजित
- सात दिवसीय ‘रैगिग अपराध निषेध’ कार्यशाला का आयोजन
- जैविभा विश्वविद्यालय में 78वां स्वाधीनता दिवस धूमधाम से मनाया
- ‘हर घर तिरंगा’ रैली का आयोजन, लोगों को किया प्रेरित
- भारत विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर व्याख्यान आयोजित
- सात दिवसीय रैगिंग अपराध निषेध कार्यक्रम में तृतीय दिवस पीजी स्टुडेंट्स की कार्यशाला का आयोजन
- रैगिंग और नशावृति शिक्षा के लिए अवरोधक होते हैं, रेका जाना जरूरी- डॉ. कौशिक
- सात दिवसीय एंटी रैगिग कार्यशाला का आयोजन
- सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में स्वामी, ठोलिया व बुरड़क तीनों प्रथम रही
- प्रख्यात लेखक मुंशी प्रेमचंद जयंती पर कार्यक्रम आयोजित
- ‘आख्यानमणिकोश’ ग्रंथ पर प्राकृत मासिक व्याख्यानमाला का 37वां व्याख्यान आयोजित
- ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत छात्राओं, प्रोफेसर्स आदि ने पेड़ लगाए
- जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में नए पाठ्यक्रम शुरू करने पर विचार
- जैन विश्वभारती संस्थान की एलसीसी छात्राओं ने गोल्उ व सिल्वर मैडल जीते
- अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस पर सामुहिक योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित
- संस्थान में राजस्थानी भाषा अकादमी के सप्त दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय राजस्थानी समर स्कूल का आयोजन
- कॅरियर की संभावनाओं के अनेक द्वार खोलता जैविभा विश्वविद्यालय का योग एवं जीवन विज्ञान विभाग
- लाडनूँ में प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति का सफल उपक्रम- आचार्य महाप्रज्ञ नेचुरोपैथी सेंटर जहां किसी मरीज के लिए निराशा की कोई जगह नहीं है
- जैविभा विश्वविद्यालय की विशेष खोज ‘अहिंसा प्रशिक्षण प्रणाली’ को पैटेंट मिला
- विश्वस्तरीय डिजीटलाईज्ड लाईब्ररी है लाडनूं का ‘वर्द्धमान ग्रंथागार’ जहां दुर्लभ पांडुलिपियों के साथ हर विषय के ग्रंथों व शोधपत्रों का सागर समाया है
- एनएसएस स्वयंसेविकाओं ने पेड़ों पर लटकाए मिट्टी के परिंडे
- भारतीय ज्ञान परमपरा समस्त विश्व में बेहतरीन है, इसे बचाए रखें- प्रो. जैन
- डाॅ. जैन की ‘विकास: गांधी और आचार्यश्री महाप्रज्ञ की दृष्टि में’ पुस्तक के लिए किया गया चयन
- एनसीसी कैडैट्स छात्राओं को मिले सफल प्रशिक्षण सर्टिफिकेट्स
- शोध में गुणवता के साथ जवाबदेही और उपयोगिता के गुण भी आवश्यक- प्रो. दूगड़
- प्रो. दूगड़ की ‘अतींद्रिय ज्ञान’ पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत
- संकल्प के प्रति एकाग्र रहने से लक्ष्य की प्राप्ति संभव- प्रो. त्रिपाठी
- दुर्लभ पांडुलिपियां का अद्भूत संग्रह और संरक्षण का महत्वपूर्ण केन्द्र, जहां है साढे छह हजार हस्तलिखित ग्रंथ सुरक्षित
- व्याख्यानमाला में सर्वमान्य आचार्य कुंदकुंद के साहित्य पर सूक्ष्मता से विवेचन प्रस्तुत
- संस्कार निर्माण के साथ योग शिक्षा रोजगार प्राप्ति का भी साधन- प्रो. त्रिपाठी
- स्वच्छता एवं मतदान जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित
- महिलाओं व पुरूषों की प्रजनन प्रणाली और बांझपन के कारण और निवारण पर विमर्श
- पत्रकार के रूप में महात्मा गांधी ने अहिंसक सम्प्रेषण लोगों के दिलों तक पहुंचाया- प्रो. चितलांगिया
- ‘भारतीय परंपराओं में अहिंसक संप्रेषण की खोज’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित
- जैन विश्वभारती संस्थान का 34वें स्थापना दिवस समारोह आयोजित