जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में मासिक व्याख्यानमाला में व्याख्यान का आयोजन

साहित्य के माध्यम से बदले जा सकते हैं जीवन के सामाजिक, नैतिक और दार्शनिक आयाम

लाडनूँ, 5 फरवरी 2020। जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के आचार्य कालू कन्या महाविद्यालय में मंगलवार को मासिक व्याख्यान माला के अन्तर्गत प्राचार्य प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी की अध्यक्षता में अंग्रेजी के सहायक आचार्य सोमवीर सांगवान ने ‘‘साहित्य के माध्यम से जीवन का सामाजिक, नैतिक और दार्शनिक आयाम’’ विषय पर व्याख्यान दिया गया। सांगवान ने बताया कि साहित्य समाज का दर्पण होता है, इसके माध्यम से व्यक्तिगत सम्बन्धों में मधुरता उत्पन्न कर जीवन को बेहतरी के साथ जीने की प्रेरणा मिलती है। जीवन को सहजता से और सद्भाव के साथ कैसे जिया जाये, यह साहित्य से बेहतर कोई अभिव्यक्त नहीं कर सकता। साहित्य की इस विषेशेषता के कारण जन-मानस चेतना से होते हुए साहित्य मानव में संस्कारों का रूप ले लेता है। साहित्य में भारतीय संस्कृति का स्वर सहजता से सुना जा सकता है। साहित्य समाज में परिवत्रन का माध्यम बनता है, वहीं व्यक्ति में नैतिकता के जागरण और उसे अध्यात्म के प्रति और दर्शन के प्रति जागरूक बनाने में भी साहित्य सहायक होता है। व्याख्यान के उपरान्त प्राचार्य त्रिपाठी ने व्याख्यान में साहित्य के बारे में सार्थक एवं सही दिशा में व्याख्यायित करने के लिये सोमवीर सांगवान को बधाई दी तथा कहा कि सांस्कृतिक सद्भावना को सर्वोपरि रखना आवश्यक है। व्याख्यान माला के दौरान महाविद्यालय के व्याख्याता कमल कुमार मोदी, अभिषेक चारण, अभिषेक शर्मा, श्वेता खटेड़ एवं घासीलाल शर्मा उपस्थित रहे। व्याख्यान माला का संचालन डाॅ. बलबीर सिंह चारण द्वारा किया गया और अंत में आभार ज्ञापन डाॅ. प्रगति भटनागर ने किया।

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