जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अहिंसा एवं शांति विभाग द्वारा कुलपति प्रो. बीआर दूगड़ की प्रेरणा से ‘‘वर्तमान संकट में गांधीवादी दृष्टिकोण’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन
वैश्विक संकट में महात्मा गांधी के विचार समाधान के लिये महत्वपूर्ण. प्रो. शर्मा
लाडनूँ, 2 अक्टूबर 2020। महात्मागांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष पर जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) के अहिंसा एवं शांति विभाग द्वारा कुलपति प्रो. बीआर दूगड़ की प्रेरणा से ‘‘वर्तमान संकट में गांधीवादी दृष्टिकोण’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस ऑनलाइन कार्यक्रम में पंजाब विश्वविद्यालय चण्डीगढ़ के गांधी अध्ययन केन्द्र के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एमएल शर्मा ने महात्मा गांधी के विचारों एवं सिद्धांतों की वर्तमान युग में आवश्यकता पर बल देते हुये वर्तमान समस्याओं को दूर करने के उपाय गांधीवाद में बताये। उन्होंने भूख, बेरोजगारी, महामारी आदि संकटों पर अपने विचार रखे तथा सत्य, अहिंसा, साध्य.साधन, स्वदेशी तथा गांधी की न्याय प्रणाली के बारे में बताया। जय नारायन व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. बी. एम. चितलांगिया ने गांधी के विचारों को अपनाने पर जोर दिया तथा आधुनिक वैश्विक संकट में महात्मा गांधी के आर्थिक, सामाजिक, सत्याग्रह, अहिंसा व वर्तमान में मीडिया की भूमिका पर अपने विचार रखे।
गांधी तकनीक से राजनीतिक संघर्ष का निवारण
कोटा खुला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. नरेश दाधीच ने कहा कि विषय में गांधी की प्रासंगिकता को रखना ही अपने आप में महत्वपूर्ण है। वर्तमान समय में सही रास्ता गांधी के बताये मार्ग पर चलना ही है। आज भी राजनैतिक संघर्ष का निवारण गांधी तकनीक से ही संभव हो सकता है। उनका मानना था और वह आज भी सही हे कि अन्याय के विरूद्ध अहिंसात्मक तरीके से ही सत्याग्रह करना चाहिए। साथ ही गांधी के एकादश व्रतों का पालन भी मनुष्य को करना चाहिए। आज की आर्थिक व राजनैतिक परिस्थितियों से निकलने के उपाय भी गांधी ने बताये, चाहे वह प्राकृतिक संसाधनों का मितव्यतापूर्वक उपयोग करना हो या आत्मनिर्भर बनना होए इसके लिए ही गांधी ने अपने विचार रखे थे। केन्द्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला हिमाचल प्रदेश के कुलपति प्रो. केसी अग्निहोत्री ने राममनोहर लोहिया को गांधी के विचारों व सिद्धान्तों को बढ़ाने वाला बताया। उनका मानना था कि चाहे स्वच्छता की बात हो या फिर देशप्रेम की, उन्होंने अपने विचारों का देश से जोड़ते हुए बताया। इस का उदाहरण उन्होंने रामराज्य को बताया। उनको भारतीय सभ्यता व संस्कृति की बहुत चिन्ता थी। उन्होंने कहा कि अहिंसा कभी कायरता के कारण नही हो सकती और सत्य की साधना बहुत कठिन है।
हर क्षेत्र में उपयोगी हैं गांधी के सिद्धांत
जैन विश्वभारती संस्थान के दूरस्थ शिक्षा निदेशक प्रो. आनन्दप्रकाश त्रिपाठी ने अपने वक्तव्य में कहा कि गांधी आज समय की मांग है, चाहे आर्थिक स्तर पर हो या फिर धर्म और राजनीति में। आज वर्तमान में गांधी के सिद्धान्तों की बहुत उपयोगिता है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में अहिंसा व शंाति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर ने विषय प्रवर्तन करते हुये गांधी के सिद्धान्तों पर प्रकाश डाला। शुरूआत में डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़ ने अतिथियों का स्वागत एवं परिचय प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के अन्त में अहिंसा एवं शांति विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. अनिल धर ने सभी का धन्यवाद किया। कार्यक्रम की संयोजन समिति में प्रो. अनिल धर, प्रो. समणी सत्यप्रज्ञा, समणी डाॅ. रोहिणी प्रज्ञा व डाॅ. रविन्द्र सिंह राठौड़ शामिल थे।
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