31 वें स्थापना दिवस पर जैन विश्वभारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय) में समारोह का आयोजन

अपने विचारों पर ध्यान केन्द्रित करके किया जा सकता है अच्छी आदतों का निर्माण- प्रो. गोदारा

कुलपति दूगड़ ने विश्वविद्यालय को अन्तर्राष्ट्रीय स्वरूप देने पर दिया जोर

लाडनूँ, 20 मार्च 2021। वर्द्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा के कुलपति प्रो. आरएल गोदारा ने कहा है कि चरित्र की पहली सीढी है अपने विचारों पर ध्यान देना। विचारों को केन्द्रित करना। हमें कभी अपने मन के वश में नहीं होना चाहिए, क्योंकि मन तो क्षण-क्षण में बदलता रहता है। विद्यार्थियों को इस ओर पूरा ध्यान देना चाहिए और अपने जीवन में अच्छी आदतों का निर्माण करना चाहिए। जो भी समय या कार्यक्रम तय किया जाता है, उस पर काम करें। वे आदत बन जाएंगे। आदत पर संयम, नियंत्रण जरूरी है। जहां आदत नियमित होती है, वहां चरित्र निर्माण होगा और आदर्श चरित्र ही मूल्यवान होता है। वे यहां जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय के 31वें स्थापना दिवस पर महाप्रज्ञ-महाश्रमण सभागार में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। समारोह की अध्यक्षता करते हुए जैविभा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ ने कहा कि प्राकृत भाषा और साहित्य का विस्तार इस संस्थान का मुख्य उद्देश्य है। इस ओर हमें सर्वाधिक ध्यान देना होगा। इन उद्देश्यों के अनुरूप संस्थान के पाठ्यक्रमों का संचालन करना है। इस दिशा में काफी कार्य किए गए हैं और अब जैन विद्या के विद्धानों को तैयार करने के कार्य को विस्तार देना है। प्राकृत भाषा का प्रचार-प्रसार करके इस जन-जन तक पहुंचाना है। जैन आगमों के अंग्रेजी में अनुवाद का कार्य भी करना होगा। योग व जीवन विज्ञान विभाग को देखना होगा कि कैसे प्रेक्षा लाईव कार्यक्रम करे देश-देशान्तर तक फैलाया जा सके। इन्हें आमजन तक पहुंचाना होगा।

अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों से जुड़ाव हो

कुलपति प्रो. दूगड़ ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों का जुड़ाव संस्थान और इसके विभागों के साथ हो सके, इस ओर ध्यान देना होगा। यूनेस्को व यूएनओ के साथ संस्थान के सम्बंध संस्थागत सहयोगात्मक बने, इस नवाचार को अपनाना होगा। उन्होंने बताया कि राजस्थान में निजी विश्वविद्यालयों में दूरस्थ शिक्षा केवल दो ही प्रमुख है, जिनमें जैविभा संस्थान का ही सबसे महत्वपूर्ण स्थान है, यहां इनकी प्रतिष्ठा प्रामाणिकता के लिए है। कुलपति दूगड़ ने गूगल जैसे सर्च इंजिन पर भारतीय संस्कृति समबंधी प्रत्येक खोज में जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय की उपस्थिति नजर आए, इसका प्रयास करने पर भी जोर दिया। उन्होंने ऑनलाईन शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि विद्यार्थियों के लिए सीखो और साथ में कमाओ की नीति के अनुरूप सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने पर आय का साधन भी मिलने का आश्वासन दिया और कहा कि शिक्षा के साथ विद्यार्थी इससे कुछ कमाई भी कर सकते हैं। प्रो. दूगड़ ने बताया कि यूजीसी ने विभिन्न देशों के पारस्परिक पाठ्यक्रमों को मान्यता देने की स्वीकृति प्रदान की है। इसके तहत नई शिक्षा नीति में यहां के पाठ्यक्रमों को विदेशी विश्वविद्यालयों में और वहां के कोर्सेज को यहां क्रेडिट मिलने का प्रावधान है।

विदेशों में है यहां के पाठ्यक्रमों को मान्यता

उन्होंने बताया कि हाल ही में बेल्जियम और जापान के विद्यार्थी यहां जैन विश्वभारती विश्वविद्यालय में आए और अध्ययन किया, जिसका लाभ उन्हें अपने देश में भी वहां के पाठ्यक्रम के समान ही प्राप्त हुआ। यह विश्वविद्यालय एक भाषणामाला का आयेाजन करने जा रहा है, जिसमें समाज के लोगों को भी जोड़ा जाएगा। आगामी एक-दो सालों में समग्र जैन समाज के लोगों को इससे जोड़ा जाएगा। यह काम निर्धारित नीति के तहत किया जाएगा तथा इससे विश्वविद्यालय का विस्तार संभव होगा। उन्होंने इस अवसर पर प्राकृतिक एवं योग महाविद्यालय के काम के बारे में बताते हुए कहा कि अगले साल सत्र 2022 में यहां पाठ्यक्रमों में अध्ययन शुरू करवा दिया जाएगा। इससे पहले 2021 में ही प्रकाृतिक व योग चिकित्सा का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। प्राकृतिक व योग चिकित्सा की सफलता के बाद यहां आयुर्वेद चिकित्सा को भी इससे जोड़ा जाएगा। वर्तमान समय में लोगों का काफी रूझान इन पद्धतियों की तरफ है। उन्होंने जैन विश्व भारती की हीरक जयंती पर अगले वर्ष बड़े पैमाने पर कार्यक्रमों के आयेाजन के बारे में भी जानकारी दी।

श्रेष्ठ विद्यार्थी और श्रेष्ठ कर्मचारी का सम्मान

कार्यक्रम में समणी नियोजिका प्रो. समणी मल्लीप्रज्ञा ने अपने सम्बोधन में शिक्षा, संस्कार, साधना, शोध, सेवा पर जोर देते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय इसके लिए समर्पित है। प्रारम्भ में प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी ने कैरियर के साथ कैरेक्टर बिल्डिंग की विशेषता के बारे में बताया और कहा कि यहां मूल्यों को शिक्षा के केन्द्र में रखा गया है तथा आचार्य महाप्रज्ञ प्रवर्तित अहिंसा प्रशिक्षण की तकनीक को व्यावहारिक तौर पर जमीन पर उतारा है। कुलसचिव रमेश कुमार मेहता ने विश्वविद्यालय का वार्षिक प्रगति विवरण प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में समाजसेवी भागचंद बरड़िया मंचस्थ रहे। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के श्रेष्ठ विद्यार्थी का अवार्ड दिव्यता कोठारी, जय ललिता, निकिता शर्मा व साक्षी प्रजापत को दिया गया। श्रेष्ठ एनसीसी कैडेट का सम्मान आकांक्षा डूकिया को दिया गया। योग के क्षेत्र में योगदान के लिए योग एवं जीवन विज्ञान विभाग के विद्यार्थियों पूनम स्वामी व सुरेश दीक्षित को प्रदान किया गया। चेम्पियन आफ चेम्पियन्स का खिताब स्नेहा पारीक को प्रदान किया गया। इस वर्ष का विद्यानिधि सम्मान डाॅ. बलवीर सिंह चारण व डाॅ. सुनीता इंदौरिया को दिया गया। बेस्ट वूमन आफ यूनिवर्सिटी का अवार्ड प्रगति चैरड़िया को दिया गया तथा श्रेष्ठ कर्मचारी का अवार्ड घासीलाल शर्मा व करण गुर्जर को दिया गया। बी वर्ग के श्रेष्ठ कर्मचारी का सम्मान दिनेश शर्मा, जगदीश सिंह शेखावत, सुनील कुमार, संजय व मनोज को प्रदान किया गया। कार्यक्रम मुमुक्षु बहिनों के मंगलाचरण से प्रारम्भ किया गया। अंत में प्रो. नलिन शास्त्री ने आभार ज्ञापित किया। डाॅ. युवराज सिंह खांगारोत ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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